बहुत खोखला हो रहा है "आशीष", काश! कोई तो होता जो कह सकता की- मै साथ हूँ तेरे। जिंदगी से लड़ रहा हूँ मुश्किलों से निकलूंगा, गर बुझा हुआ दीपक हूँ तो इक दिन जलूंगा। और जला लो मेरी मुश्किलों मुझे बेहद तुम, अतिशी समंदर हूँ सब को ही मैं निगलूंगा। मत आओ साथ मेरे।