हज़ारों की भीड़ में खुद को तन्हा पाता हूं
बाहर से पूरा, अंदर से खोखला पाता हूं
लड़ने लगा हूं अब अपनी ही तन्हाइयों से
खुद को बंद कमरे में महफूज पाता हूं
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तू जिसकी भी जोजा बने
खुदा बक्शे उसे...बो तौबा करे
हजार नकाब कोई कैसे रख सकता है एक चेहरे पे
आए ये दुनिया तुमसे तालीम हासिल करे...-
उसके हाथों की कठपुतली बन गया था मैं,
ना चाहते हुए भी उसका गुलाम बन गया था मैं,
मानता था खुदा को मैं भी कभी
उसके हुस्न की परस्ती करने लगा था मैं,
इंसान तो मैं भी ईमान वाला था
साथ उसके काफ़िर होने लगा था मैं,
जैसा चाहती वैसा नचाती बो मुझको
सामने उसके तवायफ सा बन गया था मैं,
उसके हाथों की कठपुतली बन गया था मैं
ना चाहते हुए भी मुर्दा सा गया था मैं...
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वक्त आने पे सब कुछ किया जाएगा
हर एक सवाल का जवाब दिया जाएगा
तूने क्यू नज़रअंदाज़ किया ये भी पूछा जाएगा
तेरी हर एक बात का बदला लिया जाएगा
तेरी बेवफाई का भी इन्तक़ाम लिया जाएगा
जो नहीं किया आज तक बो भी किया जाएगा
बस वक्त आने पे सब कुछ किया जाएगा
हर एक सवाल का जवाब दिया जाएगा-
बस तेरा ही सहारा था
अब बो भी छूट गया
मैं ऐसा मुसाफ़िर हूं
जो रास्तों से होकर भी
मंज़िल को भटक गया...
किसे तराशता रहा मैं चांदनी रात में
कौन था बो...जो मुझसे मिलकर भी मेरा ना हुआ
बातें तो हुई बहुत सात जन्मों की मगर
साथ इस बार भी मुकम्मल ना हुआ...
देखकर लगता था उसको मानो खरा सोना हो
पास जाके देखा तो चांदनी बिखरी थी
और जिसके कांधे मैं सर रख सोया
शायद ख़्वाब में कोई परियों की कहानी थी...
उसे लगता है सारी कोशिशें गलत थीं मेरी
सही रास्तों पे होकर भी मंज़िल गलत थी मेरी...-
BO BAZAR M NAGAT DIL HAAR KE BEETHE THE APNA
KUCH MERE JAISE AAYE TO UNKI KIMAT BDA DI-
गले में ज़खम है...आवाज़ नहीं आती...
आंखो में कुछ ऐसा है....वो पहचान नहीं आती...
कोई जाके बताओ उसको यार
वो बातें फर्जी है सारी...
और ये भी झूट है
कि
जुनैद को तेरी याद नहीं आती....-
लोग कुछ इस तरह उसे चाहते थे
मर जाने के बाद भी उसका हो जाना चाहते थे...
जो उसे महज छू भर लेता था
पत्थर बन जाता था...
और हम
फिर भी
उसके जिस्म ओ फलक तक होके आना चाहते थे...
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जिन रास्तों पर मैं चला,
बो सारे गलत थे...
एक अरसे बाद खबर हुई कि
मेरे कमाए हर सिक्के गलत थे...-
कोई तो है जो मेरे हक में बद्दुआ कर रहा है
अचानक मेरी हालत कभी इतनी नहीं बिगड़ी...-