तेरे जिस्म की खुशबू से
हवाओं में शुमार आए
तेरी लहराती जुल्फों से
फिजा में बाहर आए
तू ही बता ऐसा क्या करूं मैं
कि मेरी वफाओं से
तेरे दिल को खुमार आए-
पड जाये फिका तेरे इश्क का रंग,
जो मुझ पर चढा था ll
हो जाये कम तेरे प्यार का असर,
जो मुझ पर खुमार था ll
अब तो आदत हो गयी है,
तन्हा रहने की ll
हमने भी सिखलि,
आपसे बिछडकर कला..
अकेला रहने की ll
(Shubham Deøkar)-
तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र तेरा ही ख़याल
तेरे ख़ुमार में हमको आराम कितना है।-
ख्वाब में आई फिर दिल में समाई,न जाने कितनों से रुसवाई कराई ,यह जलेबी बाई नहीं कि हर किसी का साथ निभाए, जो दिल में आग लगाए; सुख-दुख नींद-चैन भूलाए यूपीएससी उसी का है भाई।
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जाने किसका खुमार लगा इसे,,
जो मदमाती हुई चल रही हैं.....
उफ्फ़! ये हवा भी ना,,
सबसे उलझती हुई बह रही हैं।।-
सोचा न था तेरा खुमार इस कदर उतरेगा
कभी इश्क़ भी था तुझसे
ये ख़्याल भी शर्मसार कर गुज़रेगा।
कुछ पन्ने पलटने को तु भी जब
यादों में बेकरार गुज़रेगा
तुझे भी ना मिल पाएगा वो सुकून
तु जिसके इंतज़ार में गुज़रेगा।
लम्हे अधूरे ही थे तब भी
यादों मे वो अधुरपन ही गुज़रेगा
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bahut gurur tha unhy apni sharab pr ,
K.. us se jyda nasha Kisi m ni
Dekh kr hamari nigahein.. unhony apni soch bdl di-
शायद ये खुमार तेरे इश्क़ का उतार ना सकेंगे हम।
और करते हैं महोब्बत कितनी शायद ये भी बता ना सकेंगे अब।-
मौसमी बहार और ये शरबती हवाएं
मुझ पर तेरे मुश्क़ का खुमार यूं चढ़े,,,
कि
ना कोई दवा ना कोई वैद्य काम आये
मुझ पर तेरे इश्क़ का बुखार यूं बढ़े।।
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तेरे प्यार का खुमार कुछ यूं है
कि दुनिया को जाम से चढ़ता है
और हमारे लिए तो
तेरे लफ्ज़ ही काफी है-