मैं उनके इश्क का मरीज था,
मुझे उनके इश्क का मर्ज था।
मैं उनके इश्क का मरीज था,
मुझे उनके इश्क का मर्ज था।
अब जान जानी तो लाजमी थी,
जब मेरा डॉक्टर ही खुदगर्ज था।।-
ख़ुदग़र्ज़ हवेली से वो झोली खाली लौटी थी जनाब,
जो एक ख़ुद्दार झोपड़ी ने अपनी आधी रोटी से भर दी ।-
मशगुल हूं मैं खुद की ही तन्हाई में ,
तुझे खोने का डर मुझे सताता कहां है ।
मैंने बंद आंखों के ही ख्वाब देखे हैं ,
सिर्फ हकीकत का मुझे अंदाजा कहां है ।-
ये देखना कि चलते रहने की तमन्ना कम न हो,
हौंसला कायम रहे तो रास्ता क्या चीज़ है..-
Tera Pyar Bhi Kitna Khudgarz Tha...
Kal Tak Mera Tha...
aaj Kisi Aur Ka Hai...-
जुदा होकर भी मुझसे...
उनके दिल का दर्द नहीं बढता...
अब मेरी नाराजगी से भी...
उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता...-
वो कहते हैं हम बड़े खुदगर्ज हैं,
क्या पता ये सब तो हमारी मर्ज है।
उन्हें लगता है हम उनके आगे हाथ फैला देंगे
कैसे बताए ये दिल तो उनके पास पहले से ही कर्ज है।-
खुदगर्ज़ हुआ है बहुत जमाना, तुम किस-किस को हाल-ए-दिल सुना अपना बनाओगे
जो दर्द हैं उन्हें दिल में छुपा लो, जमाना बहुत रंगीन है किस-किस से तमाशा-ए-गम बनवाओगे...!!
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Galat karte hain insaan
Jo har ek se dil lagate hain...
Wafa karna jaante nahi
Aur mohobbat ko aazmate hain..
Sach or jhut ki parakh nahi
Bus khud ko sahi batate hain...
Zameer ko apne maar kar
Khudgarzi ko apnaate hain...!!!-
Insaan Bhut
Khudgarze Hai
Pasand Kare Toh
Burai Nhi Dekhta
Nafrat Kare Toh
Acchai Nhi Dekhta-