ताबीज़ या धागा
बताओ किसे बाँधने से
मिलेगा भगवान?
चादर या मुकूट
क्या चढ़ाओगे
चाहिए उसे क्या सामान?
मूर्ति या मज़ार
कहो करें हम
किसका सम्मान?
भागते हो ख़ुदा पाने को
पीछे छूट गया इंसान।-
करती हूं उस खुदा से
बस एक यही दुआ !!
मेरे हिस्से की भी खुशियां मिले
तुझको ही सदा !!-
Raazi Raha karo Khuda ki Raza Me,
Tumse Bhi Bhot Majboor insaan he is Jahaan Me..!!!-
ख़ुदा माना था जिसे मैंने,
आखिर उसने खुद को पत्थर साबित कर हि दिया..!!!-
ख़ुदा भी गुमान मैं है अब तो,
दरगाह पर ना जाने कितने धागे बांधे है मैंने..!!!-
ऊपर वाले मेरी हिम्मत सलामत रखना,
नीचे वाले सब खुदाओ से उलझ बैठी हूँ.।-
ज़बाँ हमारी खामोश है,
मगर नजरें बयां करती है!
हमे आपसे मोहब्बत है,
ये दुनिया कहा करती है!-
ए खुदा ऐसे बेमेल रिश्ते
भी न बनाया कर
जमीं के पत्थरों को
सितारों से न मिलाया कर-
उसको मालुम नहीं है के वो क्या बनेगा
वो जो शख्स सोचता है कि ख़ुदा बनेगा
वो,मैं, तुम,सब यार फ़कत मिट्टी ही तो हैं
पहले राख बनेगी ,बाद उसके धुँआ बनेगा
बस इसी ज़िद ने उसे तन्हा कर रखा है
उसकी ज़िद थी की सबसे जुदा बनेगा
आज कितनी दिलकश धूप है, जानाँ
आज फ़िर तुम्हारी याद का कोहरा बनेगा
जाती हो तो मुझे कुछ आँसू देती जाओ
बाद तुम्हारे ये शहर तो सहरा बनेगा
देखना तुझसे जलने लगेंगे ये सितारे
तू जब भी बनेगा , सबकी दुआ बनेगा ।।-
बादलों के बीच है घर तुम्हारा
खुदा से रोज़ मिलते हो क्या ....तुम... ?
©️LightSoul-