यार तेरी नज़रों को हासिल नहीं है जो ,
उसी तालाश में हूँ
वो जो चलती फ़िरती जा रही है मुसलसल
मैं उसी लाश में हूँ
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ये उड़ानों का सफ़र है तू हौसला रख
ये सदियों का सफ़र है तू हौसला रख
वो जो आँसू पी नहीं पाई होगी लड़की
वो जमीं पे गिरा , तो दरिया बना होगा
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उसको मालुम नहीं है के वो क्या बनेगा
वो जो शख्स सोचता है कि ख़ुदा बनेगा
वो,मैं, तुम,सब यार फ़कत मिट्टी ही तो हैं
पहले राख बनेगी ,बाद उसके धुँआ बनेगा
बस इसी ज़िद ने उसे तन्हा कर रखा है
उसकी ज़िद थी की सबसे जुदा बनेगा
आज कितनी दिलकश धूप है, जानाँ
आज फ़िर तुम्हारी याद का कोहरा बनेगा
जाती हो तो मुझे कुछ आँसू देती जाओ
बाद तुम्हारे ये शहर तो सहरा बनेगा
देखना तुझसे जलने लगेंगे ये सितारे
तू जब भी बनेगा , सबकी दुआ बनेगा ।।-
साँसों को छलनी, जिगर को पार करती है
ख़मोशी भी, बड़े सलीके से वार करती है
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तुम मेरी जगती हो
तुम मेरी प्रेयसी नहीं हो
तुम मेरी जगती हो
मेरे सभी जन्मों का पुण्यफल
जिनसे प्राप्त किया जा सकता था
तीन सौ वर्षों तक स्वर्ग का शासन
या धरा पर उतारी जा सकती थीं
गंगा , जमुना और सरस्वती
किंतु मैने चुना तुम्हें, मेरी जगती
तुम्हें सोचकर ही हो जाता हूँ मैं निष्पाप
मेरी जन्मों की यात्रा सिर्फ तुम्हारी खोज है
और तुममे डुबना मेरे जन्मों का लछ्य
तुममें डूब कर ही पाउँगा मैं निर्वाण
और होऊँगा मुक्त आने जाने के क्रम से
तुम मेरी मुक्ती हो
तुम मेरी जगती हो
तुम मेरी प्रेयसी नही हो
तुम मेरी जगती हो ।।
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साने पे रख दे सर थाम के मेरा हाँथ चल
तू जब मेरे साथ है तो फिर मेरे साथ चल
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अब इससे ज़्यादा तुझे और क्या सोचे हम
फूल , तितली , शबाब तेरा चेहरा सोचें हम
गाँव छोड़ कर मजदूर तो बन गये लेकिन
छोड़ कर तुझको कैसे कुछ नया सोचे हम ।।
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मुझसे रूठी हो मान क्यूं नहीं लेतीं
तुम सर पे उठा आसमान क्यूं नहीं लेतीं
ये क्या है कि बातचीत बंद कर रही हो
जान तुम मेरी जान क्यूं नहीं लेतीं
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सूरज सिखलाता हरदम जलते रहना
और चाँद का कहना है चलते रहना
सीखो तारों से तुम हर छण मुस्काना
और पानी से हर सूरत में ढल जाना
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