Kheto me gehu chawal ugane wale,sabka anyadaata kehlane wale,umasti Dhoop me Chakri krte rehte hai kheto ki ,ummid lagaye rehte hai is kheti se paiso ki,kitni armano se sich rha hai ummido ka fasal ye insaan,is baar mausam ki maar na pade warna toot jaega kissan.😃😃
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सम्पूर्ण लॉकडाऊन में
सभी पुरुषों के सर पर
खेती काफ़ी बढ़ गयी थी
समय पर इसकी
कटाई भी नहीं हो पायी थी
सेल्फियों का बाजार गिरा
काफ़ी नुकसान उठाना पड़ा
मेरी दरख़्वास्त है कि
सभी पुरुषों को किसान
का दर्जा दिया जाये
सभी के खातों में
पैसे डाल कर भुगतान किया जाये-
किसान तो पहले ही मरा है।
साहब अब गोली और लाठी से तो
आप जिन्दा लाश का अपमान कर रहे हो।-
किसान होना कोई मजाक की बात नही है साहब,
एक फ़सल पैदा करने में खून का पानी हो जाता है !-
...इक किसान।
सिर्फ एक किसान हूँ मैं
जो मात्र फसल उगाता है!!
आठों याम खुद की सुध खोकर
अपनी फसल को साकारता है
हवा, जल, खाद आदि को ही
अपना सच्चा साथी मानता है
बसंती बेलों को उगते देख
कुछ नन्हें अरमान जगाता है
और अहिस्ता बीतता समय
उस क्षण को सामने ले आता है
स्वयं फसलों की कटाई कर
वो खेत को सूनसान बनाता है
किन्तु परस्पर इस कर्म को
वो बेहिचक दोहराता जाता है
फिर से अपने खेत-खलियानों में
वो उम्मीद के बीज़ बोकर आता है
सींचकर उसे अपने पसीने से
वो कभी न थकान लाता है
प्रसन्नचित नैनों से सदैव
मंद-मंद मुसकुराता है
सही कहा तुमने...एक किसान है वो
जो मात्र फसल उगाता है..!!
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"खरीद लूँगा उसके हर नखरे एक बार में,
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बस बिक जाने दे धान इस बार ढाई हजार में... !!"
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खेती बाड़ी वाला 'कान्हा'....😂😁-
अन्यथा किसान का सपना मिट्टी में मिल जाता है।
जहां उन्होंने पसीना बहाया होता है।-
खेतों की मिट्टी बुला लेती है,
मां मेड़ पर रोटी लेकर आ जाती है।
और पिताजी पूंछते है कब से बैठे हो यहां,
ढलती शाम उनका जवाब दे जाती है।।
पंछी गेहूं की बाली ले जा रहे है।
चहक चहक कर आपस में लड़ रहे हैं।।
तब तक मुंह से बाली छूट जाती है।
पंछी घर को जाने लगे।
सूरज मामा डूबने लगे।।
इतने में रात हो जाती है।।
ढलती शाम का जवाब दे जाती है।
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जंग तो किसान की हैं,
हर पहलू उसे हराने की
फिराक़ में मशगूल सा है।।-