Kanhaiya Saini   (नवोदयन 'कान्हा')
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Joined 23 April 2018


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Joined 23 April 2018
1 AUG 2021 AT 20:49

कितने अजीब है ना ये रिश्ते,जो किस्मत से मिलते है।
अपनी यारी को जन्नत बना जाते है,
दोस्त मिले तो अनजाने में,कोई मस्ती वाला यार बन गया,
कोई हाॅस्टल की टोली में मिल गया,तो कोई खुफिया कामों में कलाकार मिल गया
कुछ नोट्स वाले दोस्त मिले,कुछ के चाय की चुस्की के साथ दिल मिल गए।
कईयों ने साथ में गालियां भी खाई,कईयों ने खिलवाई भी।
पर दोस्ती हर एक ने क्या खूब निभाई,
दोस्तों के नाम पर सब भुलक्कड़ ही मिले,एक ही टिफिन में टोली ने खूब लूट मचाई।
और चाय के शौकीन तो हम बराबर के निकले,फिर क्या सबके हाथ में चाय का कप और एक-दूसरे की टांग खिंचाई।
धीरे-धीरे दोस्ती और गहराई,अपने नए रंग लाई,
कुछ बेस्ट फ्रेंड बने और कुछ सीक्रेट पार्टनर,
कुछ के दिल मिल गए और कुछ रक्षा सूत्र में बंध गए,
अब एक दौर गलतफहमी का भी आया,
कभी रूठना,कभी मनाना,कभी रोना,कभी हंसाना
अपनी यादों में एक हिस्सा बनाया।
अब जो वक्त था बिछड़ने का,एक बार फिर सबको साथ ले आया।
नम आंखें और दिल में यादों का पिटारा लिए,जाते वक्त फिर मिलने के वादें किए।
हर कोई अपनी राहों में बढ़ गया।
आज कोई पास तो नहीं मगर फिर भी साथ है,
मिलते आज भी है सब,दोस्ती की यहीं तो बात है,
ये महज एक कहानी नहीं,ये मेरे कमीने दोस्तों की दास्तान है।

Dedicated to all precious friends..!!

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1 AUG 2021 AT 19:50

"जिसके साथ होने से कोई गम आपको न छू पाए
जो साथ हो तो जिंदगी की हर राह आसान हो जाए

वो है पास आपके तो तन्हाईयों में भी रौनक के मेले हैं
जो वो नहीं तो दुनिया की इस भीड़ में भी अकेले हैं

बिन बोले आपके दिल की हर बात समझ जाता है
आपकी आंखों की नमी से पहले उसका आंसू गिर जाता है

पागलों जैसी हरकतें कर के आपके चेहरे पर मुस्कान लाता है
हर जरूरत में आपकी वो साथ खड़ा नजर आता है

कभी साथ ना होगा तो अंधेरा हो जाएगी जिंदगी
'दोस्तों' के बिना किस काम की,बेकार हो जाएगी जिंदगी....!!"

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1 AUG 2021 AT 19:50

"जिसके साथ होने से कोई गम आपको न छू पाए
जो साथ हो तो जिंदगी की हर राह आसान हो जाए

वो है पास आपके तो तन्हाईयों में भी रौनक के मेले हैं
जो वो नहीं तो दुनिया की इस भीड़ में भी अकेले हैं

बिन बोले आपके दिल की हर बात समझ जाता है
आपकी आंखों की नमी से पहले उसका आंसू गिर जाता है

पागलों जैसी हरकतें कर के आपके चेहरे पर मुस्कान लाता है
हर जरूरत में आपकी वो साथ खड़ा नजर आता है

कभी साथ ना होगा तो अंधेरा हो जाएगी जिंदगी
'दोस्तों' के बिना किस काम की,बेकार हो जाएगी जिंदगी....!!"

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1 AUG 2021 AT 19:38

"कितने कमाल की होती है ना दोस्ती...!
वजन होता है लेकिन बोझ नहीं....!!"

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13 MAY 2021 AT 16:25

चलता जा अपनी राहों पर
तुझे मंजिल जरूर मिलेगी
थक जाए तो याद कर लेना वजह को
हौसलों के आगे
तेरी तकदीर भी झुकेगी
अभी तो शुरुआत है कई पड़ाव बाकी है
बीते कल को याद कर
अपने जुनून को बनाए रख
ये दुनिया भी तेरे कदमों में झुकेगी
कई बार असफलता भी मिलेगी
बस तू रुकना मत
तुझे तेरी मंजिल जरूर मिलेगी
हो निराशा कभी मन में
थोड़ा इंतजार करना
सब्र करना और वक्त का सम्मान करना
भरोसा रख खुद पर
हर पड़ाव को तू पार करना
बस याद रखना
तेरी हौसलों की उड़ान काफी ऊंची है
राह में कई बंदिशे है
बस तुम चलते जाना
तुम्हें अपनी मंजिल जरूर मिलेगी
दुनिया तेरी कदमों में जरूर झुकेगी..!!

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1 NOV 2020 AT 22:20

✒मैं हार कैसे मान लूँ✒

घर छोड़ जब निकला था मैं,कुछ कर गुज़रने की चाह में,
मन में मेरे,बात मैंने एक थी तब ठान ली,
कि पानी है मंज़िल,फिर क्यूँ ना जाएँ अब चाहे जान ही
तब कह रहे हो रुख़ मैं अपना,मंज़िल से मोड़ लूँ
है कठिन डगर इतनी,कि प्रयत्न करना छोड़ दूँ

जब मैं अकेला बेसहारा,भटकता था दर बदर,
तब रेंग कर चलता था मैं,मंज़िल की तलाश में,
ना कोई था जब साथ में,थी केवल उम्मीद मेरे पास में
तब कह रहे हो कुछ नहीं होगा यूँ हासिल
तू बीता हुआ कल भूल जा सब मंज़िलें नहीं मिलती यहाँ,
तू लक्ष्य अपना भूल जा

ये बात कैसे मान लूँ,मैं हार कैसे मान लूँ

आँसुओं का मोल मैंने था तब जान लिया,इन्ही आँसुओं को मोती बनाऊँ,
था मन में यह बस ठान लिया
तब कह रहे हो,इच्छाऐं अपनी सब दफ़्न कर दूं कफ़न में
मूँद लूँ आँखें मैं अपनी,और सपने बुनना छोड़ दूँ

जब खोजता था, अस्तित्व अपना,मैं हाथों की लकीरों में,
और ढूँढता था सच झूठ,मैं गीता क़ुरान पुराणों में
तब कह रहे हो,तक़दीर से तू अपनी लड़ना छोड़ दे
डर,मुक़द्दर से और स्वाभिमान पे अपने अड़ना छोड़ दे
घर बार, नाते और जीवन,जब सब लगाया दांव पर
फिर इश्क़ अपने इस ख्वाब से,कैसे मैं करना छोड़ दूँ
खुद से किया वादा,कैसे उसे मैं तोड़ दूँ

मैं हार कैसे मान लूँ

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1 NOV 2020 AT 14:41

"मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो
परन्तु रास्ता हमेशा पैरो के नीचे से होकर जाता है....!!"

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1 NOV 2020 AT 14:36

"रास्ते में लूट लेती हैं ये दुनिया उन्हें,
जिन्हे खुद की कीमत का अंदाज़ा नहीं होता...!!"

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1 NOV 2020 AT 6:51

"चाकू...खंजर...तीर और तलवार...लड़ रहे थे,
कि कौन..ज्यादा गहरा घाव देता है,
शब्द..पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे…!!"

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25 OCT 2020 AT 18:45

उलझन और कश्मकश में,
उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ।

ए जिंदगी!तेरी हर चाल के लिए,
मैं दो चाल लिए बैठा हूँ|

लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख -मिचोली का।
मिलेगी कामयाबी, हौंसला कमाल का लिए बैठा हूँ l

चलो मान लिया, दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक़।
गिरेबान में अपने,नया सुनहरा साल लिए बैठा हूँ l

ये गहराइयां,ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक।
'कान्हा' को क्या फ़िक्र, मैं कश्तियां,ख्वाब और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ।

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