कुछ अधूरी बातें..
कैप्शन में पढ़ें 👇-
खुली किताब सी मैं..
पढ़ने दिया था तुमको..
जाने क्या सोच कर..
लिखना शुरु कर दिए.
खुली किताब सी मैं..
जज़्बात मेरे अपने..
जाने क्या सोच कर..
अपने अल्फ़ाज़ पिरोने लगे..
खुली किताब सी मैं..
अपने रंग के कवर में लिपटी..
जाने क्या सोच कर..
कवर बदलने शुरू कर दिए..
खुली किताब सी मैं..
आज़ादी में डोलने वाली..
जाने क्या सोच कर..
आलमारी में सज़ा दिए..
हाँ थी अधूरी किताब..
नहीं करनी है ऐसे पूरी..
जैसी हूँ वैसी पढ़ो सरकार..-
Puzzle...लफ़्ज़ सुना है कहीं
हाँ उसी एक लफ़्ज़ की तरह थी कहानी मेरी...-
वो किस्सा तो मैंने खत्म कर दिया कबका
मगर उस कहानी से मैं कभी बाहर ना आ सका...-
किसी ने पूछा मुझसे कि, तुम रहते कहाँ हो ?
मैनें कहाँ
कविता नाम कि एक जगह है काहानीयोंं कि शहर में
ख़याल नाम कि गली में अाना और,
वो जो नीलि छत वाली कलम नाम की मकान हैं
बस वहीं मेरा पता हैं।।-
सुन...अब कभी लौटना मत तू
कहानी से अपनी लफ़्ज़-ए-मुहब्बत मिटा दिया है मैंने...
महज इक जिस्म बाकी रह गया है मेरे पास मेरा
रूह को तो अपनी कबका वफा की कब्र में लिटा दिया है मैंने...
इतना गुरूर मत कर अपनी जीत पर 'शिद्दत'
खुद को हराने की ज़िद में तुझको जिता दिया है मैंने...
ज़माना याद रखेगा मुद्दतों तलक तुझे
तेरा नाम भी हीर और मुमताज़ वाली लिस्ट में लिखा दिया है मैंने...
और यकीन मान, बिता दूंगा मैं उम्र सारी तेरे बगैर
वैसे ही जैसे पिछला एक साल बिता दिया है मैंने
सुन...अब कभी लौटना मत तू
कहानी से अपनी लफ़्ज़-ए-मुहब्बत मिटा दिया है मैंने...-
एक तरफा कहानी बताया नहीं करते;
सच्ची मोहब्बत को कभी जताया नहीं करते,
होगी दिल में मोहब्बत तो वो जरूर वापस आएंगे,
क्योंकि सच्चे आशिक कभी छोड़ कर जाया नहीं करते...-
हर महीने की है ये कहानी,
हर लड़की की ये कहानी
एक लड़की कि जुबानी,
ऐसा दर्द जो सहना है,
बदले में चुप रहना है,
जो दर्द वो सहती हैं,
फिर भी किसी से ना कहती हैं....
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न कसूर तेरा था, न गलती मेरी थी
शायद रब ने लिखी यह कहानी अधूरी थी।
पर चाहते और इंतज़ार की शिद्दत तो कहती हैं
कहानी अधूरी नहीं थी शायद वो मोड़ कहीं खो गया जहां हमें मिलना था
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कुछ लोग खुद का हिसाब तो कुछ बेहिसाब रखते हैं
कल का तो पता नहीं, लेकिन हम अपना आज लाजवाब रखते हैं।
पंछियां दाना चुगने लगी हैं अपने घोंसलों से निकलकर
हम आज भी दाने से भरा कटोरा अपने छत पे रखा करते हैं।
जिंदगी गुजर जाएगी एक पल में सामने से तेरे
इसलिए हर एक पल को हम अपना बनाए रखते हैं।
जंग लग जाती है रिश्तों में अगर किसी का साथ ना हो
यह सोचकर हम अपना रिश्ता हमेशा बनाए रखते हैं।
खैर इस जिंदगी से अब क्या शिकवा और क्या गिला
जब हम अपनी ही कहानी को हमेशा राज बनाए रखते हैं।
अब तो लोग पता करने लगे हैं 'राज' कहानी का तेरे
और यह राज हम आज भी उनसे छुपाए रखते हैं।
-rajdhar dubey-