Mann Mishra  
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खुली क़िताब सी मैं,जितना मर्जी पढ़ लो, लेकिन लिखने की इजाज़त नही है कुछ भी...
Joined 31 March 2019


खुली क़िताब सी मैं,जितना मर्जी पढ़ लो, लेकिन लिखने की इजाज़त नही है कुछ भी...
Joined 31 March 2019
3 OCT AT 20:47

तुम भी कभी मेरे लिए कोई दुआ कर लो..
अपने रब से मुझे माँग लो..

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28 AUG AT 18:56

प्रेम भावनाएँ अहसास सब ने पता बदल लिया..
उनका पता बताओ तो भेजूँ कुछ लेखनी..

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27 AUG AT 19:23

अक़्सर प्रेमिकाएँ प्रेम देने तक ही सीमित रही..
नहीं मिलता प्रेमी पर किसी औऱ तरह का हक़..

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25 AUG AT 20:25

तुम्हारा दिल मेरे लिए धड़कता है.. झूठ है ना..

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24 AUG AT 20:54

काश की मैं ख़ुद से सच बोल पाती..
तुम नही मिलोगे खुद को समझा पाती..

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23 AUG AT 19:26

तुम पूछो कैसी हो तुम औऱ मैं इठलाती बताऊँ..
केवल शब्दों से नही तुम्हारे बालों से खेलना है मुझे..

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22 AUG AT 23:06

ऐसे कसे की आज़ादी भूल गए..
इस भूलभुलैया में खो कर रह गए..

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21 AUG AT 18:52

अब उसने याद दिलाया हमारा रिश्ता अटूट था..
अब वो "था" का मतलब भूल गया..

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20 AUG AT 12:15

रास्ता रोकेगी तुम्हारा..
कानों में चुभेगी..
कल आज औऱ कल भी..
इसी रास्ते से जाओगे..
फिर कब तक बचोगे..

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19 AUG AT 19:01

जीवन इतना..
अस्त व्यस्त होने पर भी..
मन एकदम..
शांत कैसे हो सकता है..

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