इश्क़ में दूरियाँ भी रहें और नज़दीकियाँ भी रहें,
ज़रूरी तो नहीं हर दफ़ा गुस्ताख़ियाँ सितारों से ही रहें।
कभी ख़्वाबों की राहों में भी मिला कर ए आशिक उसे,
ज़रूरी तो नहीं मुलाक़ातें हमेशा हक़ीक़तों में ही रहें।।-
अब दिल से उतर गया वो शख़्स,
जो कभी दिल पर राज किया करता था।
कुछ इस कदर बेवफाई की थीं उसने,
के जब भी जिक्र बेवफाई का हो,
तो हर बार नाम उसका ही हुआ करता था...-
ज़ख़्म ऐसे मिले जो किसी को दिखाई न दिए,
बेवफाई के किस्से महफ़िल में सुनाएं न गए।
हम ही नहीं जिन्हें इश्क में बेवफाई मिली,
सुना है बहुत से आशिक मोहब्बत में आजमाए गए।।
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इश्क़ करने की हमें कुछ यूं सजाए मिली,
मोहब्बत की अदालत में हमें कोई सफाई नहीं मिली।
बेवफाई करके भी उन्हें रिहा कर दिया गया,
और वफाई करने की हमें सजा–ए–मौत मिली।-
उसके छोड़ जाने की भी कोई वजह रही होगी
यू बेवजह उसने यह गलती नहीं की होगी,
उसको बेवफ़ा ठहराना शायद गलत था मेरा,
शायद उसकी भी कोई मजबूरी रही होगी...
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उम्र पूरी अपनी वो शख्स यू गवाता रह गया।
जलाकर दिल को अपने, किसी के लिए उजाला कर गया
जख्म खंजर का होता तो भर जाता इक रोज।
मगर बेवफाई के दर्द से वो शख्स हर रोज तड़पता रह गया।-
खुल गया वो राज़ जो कई सालों से न खुला था,
ढल गया वो चाँद, जो कई सालों से न ढला था,
की जिसने छोड़ा था कभी अपनों को
अपनी मोहब्बत के खातिर
आज वही शख्स किसी को पाने के लिए
लिए पंखे से झूला था...-
मेरे आंखों में एक ख्वाबों का दरिया बहता है
कितना खुश नसीब है वो शख्स,
जिसके पास ये हकीकत का परिंदा रहता है,
सुना तो हमने भी था फिल्मों में की तारे जमीं पर है,
मगर देखा पहली बार है कि एक चांद भी जमीं पर रहता है-
अपनी राहें बदलकर चल पड़ा था वो शख्स,
शायद नए महबूब की तलाश में,
निकल पड़ा था वो शख्स...
दुनिया की नजर में बेहतर तो हम भी थे,
शायद बेहतरीन की तलाश में
निकल पड़ा था वो शख्स.....-
क्यों खफा हो रहा है दोस्त
तू मोहब्बत के आशियाने मैं,
ये बेवफ़ाई का जमाना है,
यहां तो पूरी उम्र बीत जाती है
पत्थर को दिल बनाने में...-