Kab tak hontho ki hassi Dekh k
Aasuon ko andekha karte rahoge
Htao jhuthi hassi se nazar aankhein
Bohot kuch chupaye baithi hai
Kehne ko betaab apno ki talash mei
Aaj bhi gumsum si rehti hai ...-
Jindagi Haseen hai....
Kevel logo ko dikhane ke liye....
Ander se to hum aaj bhi utna hi tute hue hai jitna tere jane ke bad the
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ना जाने कब मौत का कफन
उडा़येगी जिन्दगी..
थक गयी हू़ँ झूठी हंसी,
झूठी शुकून,
रखकर, ये जिन्दगी 😨😨-
कुछ परेशानियाँ है मेरे दिल की
किसी को बताना नहीं चाहती।
हँसना चाहती हूँ दिखाने के लिए
पर झूठी हँसी हँस नहीं पाती।-
Ek mitti ki murat sa hogya hai jivan,
Na koi ras na koi apnapan,
kashmakash bhari is zindagi me khi kho sa gya hai mera maan,
Maan me hai tadpan par chehro par hai hasi ka kafan.
kash kuch aisa hota jisse mit jate ye sare gum aur fir se khilkhila uthta ye jivan........-
रिश्तों के गम सबसे ज्यादा
गहारा होता है जो वक्त गुजार
जानें के बाद भी हर वक्त दिल में
ठहरा रहता है।।-
रूठकर खुशियां मेरी ज़िन्दगी से कहीं गुम हैं
होंठो पर हैं झूठी हसीं और आंखें नम हैं!!
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"Bahut aise hein duniya me jo bejaan hein par zinda hein"
Har hasta chehra khus nhi hota...
"Kuch aise bhi hein, jo duniya ko apne haste chehre se hasate rehte hein aur khud ko bewakoof banate rehte hein"
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अंदर ही अंदर कुछ खाए जा रहा है..
अंदर ही अंदर एक गम सताए जा रहा है..
क्या थी और क्या मैं हूं आजकल
ये झूठी हसीं मेरा हर गम छुपाए जा रहा है..
खुशियां तो जैसे मुंह फुलाए बैठी है
क्यूं हर रोज जिंदगी मुझे रुलाए जा रहा है..
चाहा कुछ और मिला कुछ
क्यूं मुझसे वजूद मेरा मिटाए जा रहा है...
अंदर ही अंदर कुछ खाए जा रहा है...
ये आंखों का काजल हर बूंद छुपाए जा रहा है...
ना मंजिल का पता, बस रास्ता उलझाए जा रहा है....
अंदर ही अंदर कुछ खाए जा रहा है ...
ये कैसा गम हर रोज सताए जा रहा है....
उलझनों से भरी जिंदगी,सबकुछ भुलाए जा रहा है....
दिल हररोज एक पहेली सुलझाए जा रहा है...
मन खुद को ही अपना हाल ए दिल सुनाए जा रहा है...
लिखने को शब्द नहीं आता पर,
हर रोज कोरा पन्ना मुझसे रिझाए जा रहा है...
तन्हां है दिल का हर मकान मगर
दिल एक नया दास्तां कोई सुनाए जा रहा है...
अंदर ही अंदर कुछ छुपाए जा रहा है... रौशनी
Roshnee Gupta
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