तेरी चाह मे खुद को भूला दिया
नजरो को ये कैसा सिला दिया
इंतजार मे आखे रोती तो है, बयां नही करती
ये हमने खुद को कैसे बना लिया।
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कमरे का पंखा भी कह रहा..
आजा ये खेल खत्म करे
रोज रोज तमाशे का यहीं अंत करे।-
खुद को ढूंढने निकला था, उनसे मुलाकात हो गई
मेरे उलझे सवालो मे, ना जाने कितनी रात खो गई
इत्तेफाक था फिर भी खुद को रोक रहा था
ना चाहते हुए भी, फिर भी उनसे मोहब्बत हो गई ।
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बुरा नही हूँ गालिब, मेरी भी कुछ कहानी है
आँखो से बहता बस बेबसी का पानी है
एक उम्र गुजर रही है उनके इंतजार मे
ये दर्द नही, दी गई उनकी कुछ निशानी है।
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एक चेहरे की उम्र ने हमको जला दिया
जिसकी जवानी भी कभी चमका करती थी
पढते है आज वो किसी ओर के किस्से
जो कभी हमारे इश्क मे महका करती थी।-
भूले भटके कभी, कोई पता ढूंढने आ जाओ
इंतजार मे, सही पते की राह मे बैठा हूँ मै।
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इंतजार मे बेबसी का किनारा मिला हमको
अब वो शख्स, कहा दोबारा मिला हमको
तन्हाईयो मे सिमटती इन शामो को देखा है मैने
हर वक्त उसकी यादो का सहारा मिला हमको।-
मै हर रोज खुद को तबाह कर रहा हूँ
मै जरा जरा सा हर रोज मर रहा हूँ
इंतजार मे फक्त अब ठिकाना कहा रहा
मै तुम्हे ढूंढने की कोशिश मे खुद को आवारा कर रहा हूँ ।-