दादी कहती थी, पति परमेश्वर है, ये नहीं बताया गुस्सा आने पर मारेगा चीजें फेंककर..!
माँ कहती थी, रख देगा कदमों में तेरे चाँद और तारे लाकर, ये नहीं बताया की खुश होगा पैरों में झुकाकर..!
पापा कहते थें घोड़े पर सवार होकर आएगा राजकुमार, ये नहीं बताया की बात करेगा वो गाली देकर और हाथ उठाकर..!-
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क्या करें नवम्बर , और दिसम्बर को ,,
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जब तुम ही नहीं हो पास मेरे ,
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तो ... read more
मैं घुटते-घुटते जहर हो गई, जिस उम्र को जी भर जीने की चाह थी उस उम्र से नफ़रत हो गई, जिस उम्र की यादे संभाल कर रखते हैं लोग
उस उम्र की यादे मेरे लिए जहर बन गई, बुरी यादे सभी याद है कुछ गिनी चुनी अच्छी यादे धुंधली हो गई, जिस उम्र को जिया ही नहीं, उस उम्र से नफ़रत हो गई.........-
ओ लड़की!
नूतन भारत के जन पथ पे शौर्य नये नित गढ़ना तुम ,
आकाशों के पार उड़ो, पर ज्योती मौर्य न बनना तुम ।
जौहर करती पद्मावती हो तुम ,
मां अनुसूया सी सती हो तुम ,
सुनो! विदुषी क्यों भटक रही हो,
मर्यादित कर्णावती हो तुम
तुम गंगा हो, वसुधारा हो,
तुम पावन हो, जा़रा हो
मर्यादाओं का उपवन हो तुम ,
प्रेम मधुर वृन्दावन हो तुम ,
कुबुद्धि ,कुतर्क, दुरभिक्ष चौर्य न बनना तुम ,
आकाशों के पार उड़ो पर ज्योती मौर्य न बनना तुम ।
#jyotimaurya-
एक शख्स क्या गया, की पूरा काफिला गया
तूफ़ा था तेज पेड़ को,जड़ से हिला गया..
जब सल्तनत से, दिल का राजा ही चला गया
फिर क्या मलाल, तख़्त गया या किला गया...!!-
पहलवान तो खुद बदनाम हो रहे हैं
वरना बृजभूषण में कहां इतना दम था
मैडल गंगा में इसीलिए नहीं बहाए
शायद वहां पानी कम था!!😄😄😂-
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर सभी को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
नहीं हूँ मैं कोई छुई-मुई
ना ही कोमल सुकुमारी
न चक्षु अश्रु बहाती अबला
देखो सब पर हूंँ मैं भारी।
अगम्य पर्वतों पर चढ़कर
फहराऊंँगी मैं विजय पताका
बनूंँगी सबब छवि उनकी
जिनके मुख पर है निराशा।
छोटे-छोटे कदम बढ़ाकर
आसमां छूना लक्ष्य है मेरा
सब बाधाओं को तोड़कर
अब लाएंगे एक नया सवेरा।
बेटी हूंँ ना किसी से कम
कोई मुझे क्या ललकारेगा
एक बार दिल में है ठानी
सारा ब्रह्मांड मुझे पहचानेगा।
मैं आगाज़ हूं इस सदी की
नहीं मुझमें है कोई हीन भावना
दुर्गम रास्तों से न भय मुझे
आता गिरि का रुख मोड़ना।-
तुम मेरे लिए महज एक जीवनसाथी, ही नहीं हो प्रिये।... मेरा अक्षर, मेरा व्यक्तित्व और मेरा समस्त बौद्धिक सार हो तुम.. 😘
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जिन माँओं ने बेटियों को सीख दी कि,
ठहाका भाई का है, तुम मुस्कुराओ !
दूध वो पी लेगा, तुम चाय ले जाओ!
उसे जाने दो बाहर, तुम घर ठहर जाओ!
अभी उसे और सोने दो, तुम उठ जाओ!
देखने दो उसे मैच, तुम रसोई में जाओ!
उसके लहज़े में ही रौब है, तुम ज़रा धीमे बतियाओ !
उसकी बात काट रही? जुबान पर ज़रा लगाम लगाओ !
उसे तो यहीं रहना,तुम ढंग-तरीकों में ढल जाओ,
वे माएँ ज़रूर किसी
बेबस माँ की बेटियां रही होंगी !
बस, तुम वैसी मत बनना !
हो सके तो,
अपनी बेटी के लिए सिर्फ पंख बुनना !-
शीतल सी एक हवा है
बेटी सब रोगों की दवा है
बेटी आँगन की तुलसी है
बेटी पूजा की कलशी है
बेटी सृष्टि है बेटी दृष्टि है
बेटी शक्ति है बेटी भक्ति है-