Shipu Kumari   (Shipu (Satakshi)✍︎)
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Joined 12 May 2020


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Joined 12 May 2020
29 JUL AT 7:34

जिंदगी में उलझने हैं बहुत,
सुलझा लिया करती हूं,
फोटो खिंचवाते वक्त मैं अक्सर,
मुस्कुरा लिया करती हूं।

क्यों नुमाइश करूं मैं अब,
अपने माथे पर सिकन की,
मैं अब अक्सर मुस्कुराके,
इन्हें मिटा दिया करती हूं।

क्योंकि जब लड़ना है खुद को खुद से ही,
इसलिए हार और जीत में कोई फर्क नहीं रखती हूं।

हारूं या जीतू कोई रंज नहीं,
कभी खुद को जीता देती हूं,
कभी खुद ही जीत जाती हूं,
इसलिए अब मुस्कुरा लिया करती हूं।

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15 JAN AT 15:19

मंजिल भी बस वही तक हो जहां तक तेरे सफर का इरादा हैं,
मेरे झुमके की आवाज़ इन वादियों में गूंजे और इन सादगी को पहचान बनाना हैं,
वो प्रेम ही कहां जहां शरारत ना हो,
अंगूठी पहनाना ही तो मंजिल तक का वादा हैं,
नंगे पांव भी चल लूं तेरी खातिर मैं,
बस यूंही जीवन भर साथ चलने का वादा हैं।

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20 JUL 2024 AT 9:17

पुकार रहा है कल।
रास्तों पर है कांटे बिछे,
लेकिन हौंसला है बुलंद।

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18 JUL 2024 AT 22:35

आसान नहीं होता यूं अपनों से बिछड़ पाना,
और उनसे दूर रह पाना,
एक मौत देखनी पड़ती हैं मौत से पहले!

आसान नहीं होता यूं खुद से रूठ जाना,
और खुद को ही मनाना,
खुद को ढालना पड़ता है शाम ढलने से पहले!

आसान नहीं होता अपनी मंजिल पाना,
और सफल हो जाना,
खुद से जंग लड़नी पड़ती हैं हर जंग से पहले!

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18 JUL 2024 AT 12:54

कभी दिल के खयालात लिखती हूं,
तो कभी बीते हालात लिखती हूं,
जब नम हो अक्ष मेरा,
तो हाल-ए-जज़्बात लिखती हूं।

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5 JUN 2024 AT 0:06

जो अंधियारे में भी रोशनी दे देती हैं।

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3 JUN 2024 AT 1:49

उनके बिना लेकिन सिर्फ उन्ही के लिए जिए जा रहे हैं।

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2 JUN 2024 AT 0:11

उनका मिलना और बिछड़ना भी कितना अजीब था,
उन्हे इस बात का अफसोस तक नहीं हुआ।।

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1 MAR 2024 AT 7:19

दूरियों का हिसाब मत कर मेरे यार,
क्योंकि दूर होकर भी मैंने सिर्फ तुझी को चाहा है।

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28 FEB 2024 AT 23:46

मन में बैठा कर रावण लिए राम की आस।

इस जीवन में छाया है घनघोर तिमिर,
मिलत नाही है उजियारे को पहचान।

बूंद बूंद करके घड़ा भरत है
तू भी भर अपनी उड़ान।

जो कर्म है तेरा तू वो ही कर,
मत भूल तेरे अपनो की सम्मान।

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