Roshnee Gupta   (Roshnee Gupta)
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Joined 21 June 2020


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20 JUN AT 18:29

इंसान किसी की तकलीफ तब तक नहीं समझ सकता,
जब तक वो खुद उस तकलीफ से ना गुजरे...

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18 JUN AT 11:45

स्त्री को वो स्पर्श चाहिए
जो उसे मानसिक सुकून दें,
ना की शारीरिक,
जब दर्द हो तो उसका सर सहलाये,
जब उदास हो तो उसका मन बहलाये,
उसे धन दौलत नहीं चाहिए,
उसे चाहिए बस थोड़ी सी परवाह...
थोड़ी सी...
एक स्त्री कभी ताजमहल नहीं चाहती,
वो तो चाहती है सिर्फ मान सम्मान,
प्यार और कोई ऐसा जो उसे मानसिक सुकून दे..!

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15 JUN AT 11:07

बिना किसी चाह के ये पगली तुम्हारी और मुड़ी थी।
बस मेरा कृष्ण जानता है मैं तुमसे निस्वार्थ जुड़ी थी।

सब सम्मुख था तुम्हारे मैंने कुछ भी नहीं छुपाया था।
शब्दों में पिरोकर मैंने प्रेम का सहज अर्थ बताया था।

तुम्हारे सरल स्वभाव में मुझे हमेशा प्रीत नजर आयी।
जब-जब तुम मुस्कुराए मुझे अपनी जीत नजर आयी।

अपनेपन की सौंधी सी खुशबू सांसों में महकती थी।
जैसे चंदन की डाली पर कोयल कोई चहकती थी।

छूकर हृदय को स्नेह से मैंने अपना कदम बढ़ाया था।
खुद को करके तुम्हें समर्पित अपना हाथ बढ़ाया था।

ये प्रेम का निर्मल अर्थ मेरे जीवन का आधार रहेगा।
मुझे जीवन के हर मोड़ पर प्रिय तुम्हारा ऐसे ही इंतज़ार रहेगा।

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10 JUN AT 20:47

बरसों से हिम्मत दिखाते दिखाते,
अब हिम्मत ख़त्म सी लग रही।
ना उम्मीद जो न हुई कभी,
आज उम्मीद ही नहीं दिख रही।

किस ओर जाऊं?

सब ही दरवाज़े बंद हैं।

किसी की मुझसे कोई उम्मीद नहीं,
तो किसी के लिए मैं रोज़ नई परेशानी हूं।।

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10 JUN AT 20:44

जो आपकी अनुपस्थिति में भी,
पूर्ण समर्पण के साथ आपका ही रहा है,
वो ही वास्तविकता में आपका है,
बाक़ी सब तो भ्रम, भीड़ और छल हैं।

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11 MAY AT 23:45

मेरी हर खुशी का खयाल रखता है
यूंही नहीं वो मुझसे इतने सवाल करता है
मेरा गुस्सा उसे प्यारा लगता है
हा मेरे आंसू वो देख नहीं पाता

कहता है तू हसती है तो रौनक सी आती है
यू मुंह फुला के रखती है तो सब सूना सा लगता है
मेरे गुस्सा होने पे मनाता है बार बार
और हम उन्हे यूंही सताते है हर बार

हा सुकून देता है मुझे
उन्हें हर बार अपने साथ खड़ा देखकर
यूंही नहीं करते है वो मुझे इतना प्यार

हा नहीं चाहती उनसे की मुझे चांद तारो की सैर कराए वो
बस अपनी बाइक पे एक चक्कर लगवा आए शौक से

जानते है छोटी छोटी खुशियों से खुश हो जाती हू मैं
नही चाहिए कोई महंगे तोहफे
बस एक आइसक्रीम से भी मान जाती हू मैं
बस दिल से जो करते हो तुम
वो अच्छा लगता है
हा मुझे दिखावे का प्यार नहीं जचता है

जानते हो मुझे मेरी गहराइयों से तुम
यूंही नहीं मेरी रूह में बसते हो तुम

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11 MAY AT 23:39

I love you patidev

Read in caption

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8 MAY AT 22:08

आज वही सैनिक तुम्हारी रक्षा के लिए,
सरहद पर खड़ा है, जो कहीं मिल जाए तो
तुम कुछ नहीं समझते हो,
जिसकी पत्नी को तुम बुरी नजरों से देखते हो ,
जिसके हालातों की तुम हसीं उड़ाते हो,
कहते हो फौजी है मरने को भर्ती हुआ है,
शहिद होने के पैसे लेता है,
चलो आपको उतना पैसा दिया जाए
आप जाओगे जंग लड़ने अपने परिवार को छोड़ कर ...

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8 MAY AT 22:02

सिपाहियों की प्रेमिकाएं
कोई सामान्य स्त्रियाँ नहीं होर्ती,
इनके हिस्से में नहीं होता
कोई विशेष त्यौहार का इंतज़ार,
इनके हिस्से में नहीं आती है दिवाली,
नहीं चढ़ते चेहरे पर होली के गुलाल,
जबतक सरकारी छुट्टी हो
उड़ जाते हैं पेड़ों से वसंत,
ये लिखती हैं हर रात चिट्ठियाँ,
बाँधती हैं मंदिरों में मन्नत के धागे,
डालती हैं नदियों में सिक्के,
करती हैं दुआएँ शांति की,
सौहार्द की, प्रेम और सम्मान की।
ये मुसकुराती हैं ताकि कोई रह सके
बेफिक्र इनके अकेलेपन से
और दे सके जितना हो सके सुरक्षा देश को...

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4 MAY AT 16:55

जब तुम मुझे छोड़ कर जाते हो,
तो तुम अकेले नहीं जाते,
अपने साथ लेकर जाते हो..
मेरी खिलखिलाती हुई हसीं,
मेरा चमकता हुआ चेहरा,
मेरा शांत मन , और सुकून भरा अहसास...
तुम्हारा जाना मेरे लिए,
अमावस की रात बराबर होता है...

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