हमने जान तक लगा दी..
मिटाने को ये दूरियाँ..
फिर भी एक नहीं हुए..
कारण.., कमिनी दुनिया...-
Jawab se kya hoga , Sawal se kya hoga
Jiske andar ho ghalazat bhari
uske upar kichar uchaal ke kya hoga
Khamosh raho ,khamosh rahne mein hiqmat hai
Yun Shor se kya hoga bawal se kya hoga
Jahil se bahas kar ke jahil na ban jana
Phir ilm ka kya hoga amaal ka kya hoga
Zabaan phisli agar waqar bhi gir jayega
Baad mein pachtawe se kya hoga
malaaal se kya hoga-
यूँ लफ़्ज़ों को अपने उर्दू ना बनाइये मोहतरमा
जो मैं ना समझूँ तो लोग इश्क़ का ज़ाहिल कहते हैं-
जाहिल ना रहे हम खुदाया, ना आलिम हुए,
ए ज़िन्दगी! फज़ूल तेरे मक़तब में शामिल हुए।
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दोस्ती कहो या प्यार, कुछ इस क़दर से बढ़ी उनकी,
एक ज़ाहिल को अपनी जान बना लिया है अब उसने,-
किस कद्र चाहते है हम उस हसीन 'साज़' को
गर कही मिलना जो हो तो..हम बतायेंगे उन्हें
कुछ काफिर जो आशिकी मे अफसर बन बैठे है
मौका आने दो,आशिकी क्या है..हम बतायेंगे उन्हें
जान पे खैलकर पाया हमने उसे
पूछकर देखे जो मलाल कोई..हम बतायेंगे उन्हें
चांद को खूबसूरत कहने वाले जाहिलों से कहो
हमारी जान से रू-ब-रू हो,खूबसूरती होती क्या है..हम बतायेंगे उन्हें
जो हमारी शराफत पर उंगली उठाये..ले आओ उन्हें
यारों 'हेमन्त' चीज क्या है..हम बतायेंगे उन्हें ।
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جو جانتا ہی نہیں اسے تو ”انجان“ کہا جائیگا یا زیادہ سے زیادہ ”ان پڑھ“ ۔ ”جاہل“ تو اسے کہتے ہیں جو حق کو جان لینے کے باوجود اپنی انا اور ہٹ دھرمی پر قائم رہے، جیسا کہ ”ابو جہل“۔
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Jo Janta he Nhe Usay to "Anjaan" kaha jaiega ya Zyada se Zyada "An Parh". "JAHIL" to usay kehte han jo Haq ko Jan lenay kay Bawjood apni Ana or Hut dharmi par Qaim rahe. Jesa kay "Abu Jahl".-
जाहिली नही है ये
बडप्पन है तुम्हारा
जाहिल तुम नही
लोग है आवारा
खुद से एतिबार
ना करो तुम
वक्त के कटु वचनो से
खुद को बरबाद ना करो तुम
निरत हो ,निरत ही रहना
किसी के लबों से निकले
शब्दों को ज्यादा ना सहना।-
कोरोना
तो यूं ही बदनाम है,
थूकना,
और चाटना
तो हमरी फितरत में है।
एक *मती की कलम से..-