टोकरी गिर गयी थी जीतनी उसकी
लूटनें वालों का ज़र्फ़ भी
कुछ उतना ही ज़्यादा
वो बिखरे फल उठा रहा था बेबसी से
और गुज़रनें वाले उसके फलों से फ़ायदा
- सहिफ़ा
ٹوکری گر گئ تھی جتنی اس کی
لوٹنے والوں کا ظرف بھی
کچھ اتنا ہی زیاہ
وہ بکھرے پھل اٹھا رہا تھا بےبسی سے
اور گزرنے والے اس کے پھلوں سے فائدا
-صحیفہ — % &-
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हम कहाँ किसी से नाराज होते हैं__________٭
या तो पास होते हैं, या फिर नहीं रास होते हैं
- सहिफ़ा
ہم کہاں کسی سے ناراض ہوتے ہیی__________٭
یا تو پاس ہوتے ہیں، یا پھر نہی راس ہوتے ہیں
صحیفہ — % &-
मरते मरते खिल उठा वो , याद है आब-ए-वुजु दिया था
मुरझाया नहीं है अब तक, जिस फूल को तुमने छू दिया था
مرتے مرتے کھل اوٹھا وہ، یاد ہے ابِ وزو دیا تھا
مرجھایا نہی ہے اب تک، جس پھول کو تمنے چھو دیا تھا
صحیفہ__सहिफ — % &-
मेहनत का फल मिलता है
रास्ता कोई कहां सरल मिलता है
बढ़ना होता है परबतों से टकराते हुए
तोड़ के उसको, ईंट बनाते हुए
आह करते हुए चोट खाते हुए
तब ही तो कोई महल मिलता है
हाँ मेहनत का फल मिलता है
सहिफ़ा__صحیفہ— % &-
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कांसे के साथ फक़ीर है जैसे
इन रस्मों की ज़ंजीर है वैसे
क़ैदी क़ैद सजा है दीवारों पर
दुनिया देख रही तस्वीर हो जैसे
ख्वाबों पर भी लगें हैं ताले मेरे
और गर्दों में पड़ी सब ताबीर हो जैसे
जकड़ के मुझको रिवाज़ों की बेड़ी में
ज़माना हंस रहा वज़ीर है कैसे ?
कांसे के साथ फक़ीर है जैसे
इन रस्मों की ज़ंजीर है वैसे
सहिफ़ा__صحیفہ-
ख़ुद
बहुत टुट गया था वो
बहुत मज़बूत किया ख़ुद को
बहुत मज़बूत किया ख़ुद को
बना के ख़ुद को ही ख़ुद का सहारा
इतना मज़बूत किया ख़ुद को
के फिर अब टुट नहीं सकता दुबारा
सहिफ़ा__صحیفہ
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कैंची ज़र्ब लगाती है
अंग अंग काटा जाता है
सुई चुभोई जाती है
फिर धागा टांके लगाता है
तब जाके कोई पोशाक बनती है
तब जाके कोई कपड़ा लिबास कहलाता है
सहिफ़ा— % &-
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घायल कर देगा रुह तक तुम्हारी, ले जाएगा महाज़ तक
जाओ करो इश्क हमारा क्या है, लड़ते रहो आख़िरी साँस तक
گھائل کر دے گا روح تک تمہاری, لے جاے گا محاذ تک
جاؤ کرو عشق ہمارا کیا ہے، لڑتے رہو آخری سانس تک
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सहिफ़ा__صحیفہ-
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انصاف کا دور بھی آئیگا
عدل کی فریاد رکھنا
ظالم تو پہنچےگا ہی انجام کو اپنے
چمچوں کے چہرے بھی یاد رکھنا
इंसाफ़ का दौर भी आएगा ,
अदल कि फ़रियाद रखना
ज़ालिम तो पहुंचेगा ही अंजाम को अपने,
चमचों के चेहरे भी याद रखना
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सहिफ़ा__صحیفہ-
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رکھ دی جاتی ہیں آخرت کے لیے فضول نہی ہوتی
کچھ دعائیں قبول ہوتی ہیں کچھ قبول نہیں ہوتی
रख दी जाती हैं आख़िरत के लिए फिज़ूल नहीं होती
कुछ दुआएं कबूल होती हैं कुछ कबूल नहीं होती
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सहिफ़ा__صحیفہ-