हीन कोटि का प्रेम वह है, जो नर और नारी के बीच होता है, इस प्रेम का लक्ष्य सन्तानोत्पत्ति है। किंतु इससे अधिक श्रेष्ठ प्रेम वह है, जो नर को नर से होता है, जब दो पुरुष आपस में प्रेम करते हैं, तब उस प्रेम से बच्चे नहीं जनमते बल्कि कला, ज्ञान और दर्शन उत्पन्न होते हैं।
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