आज की सुबह कहानियों को हकीकत में बदलने की सुबह थी, इंतजार के काले घने बादलों को हटाने की सुबह थी , जो महज एक ख्वाब सा बन कर रह गया था आज की सुबह ख्वाब को पुरा होते देखने की सुबह थी
जीत का जश्न तो बनता है चार दशक बाद हॉकी का खोया गौरव लौट आया है ब्रांज ही सही मगर मुद्दत बाद पदक तो आया है शाबाश! हाकी की टीम हमें गर्व का अवसर मुहैया कराया है