महज तुम आलते से अपने पाँव ही नही रंगोगी
तुम तो उनमे सजा रही होगी प्रेम
तुम आलते से सजे पैर रखोगी जिस घर के आंगन में,
उसी रोज तुम पुरे घर को रंग दोगी प्रेम से,
जितनी खूबसूरती से तुम परिधानों से चुनकर लगाती हो बिन्दी,
मुझे यकीन है तुम हर एक रंग को प्रेम में रंगकर सजा लोगी अपना परिवार,
महज तुम सोलह श्रृंगार में सज कर ही नहीं जा रही हो,
तुम मेहंदी से सजे हाथों में भर के खुशबुएँ ले जा रही हो,
वो आंगन कल से महकेगा तुम्हारी खुशबू से ,
तुम पायल की खनक के साथ लेकर जा रही अपनी खिलखिलाहट,
वो घर कल से गूंजेगा तुम्हारी ही हंसी से ,
मुझे यकीन है
एक रोज हर किसी के हृदय में तुम्हारे लिए बस प्रेम होगा,
और तुम्हारे जीवन में सिर्फ खुशियाँ,
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