मुंडेर पे बैठी चिड़िया देखे ,सब लोगों की करतूतें
कौन है जो दाना लायेगा, कौन निकाले बंदूकें
नजरों में सब छपता जाता है,अपने बच्चों पर है नजरें
दाना चुगती जल्दी जल्दी, सारी नजरें बंदूकें है
टूट ना जाए घोंसला उसका, रोज लगाती है तिनके
सब लोगों से रखती छुपा कर, बच्चे उसकी जानें है
अपनी जान को टांगे रखती, सूली उसका गहना है
अपने मुंह से दाना चुगाती, बच्चों को तो उड़ना है
आंधी आये तूफां आये, बच्चों को ना छू पाये
आंखें उसकी जागती रहती, नींद ना उनमें आ पाये
बच्चों को है उड़ना सिखाती, जानती है ये उड़ जायेंगे
फर्ज पे मरती कर्म वो करती,और तो सब देखे जायेंगे
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को गावे गुरू की महिमा?
को गुरु को सूरज दिखलाए?
गुरु ज्ञान जो तमिर भगाए ,
शिष्य को ज्ञान प्रकाश में लाए।
गुरु चरण में स्वर्ग बसे है,
गुरु शरण है धाम हमारे।
गुरु आशीष जाकूँ मिल जाए,
जनम जनम के भाग सुधारे।
गुरु आदेश मस्तक धर राखो,
गुरु सेवा में रैन-दिन जागो।
मुख से गुरु-शिक्षा गायन हो,
गुरु की आज्ञा का पालन हो।
मैं करूँ चरण धूलि को धारण,
चरणों का अमृत पान करूँ।
शीश झुकाकर सहज भाव से,
उनके चरणों को प्रणाम करूँ।
गुरु के कर सर पर जाए,
मैं भवसागर पार जाऊँ।
वंदन कर गुरु की दिव्यता,
मैं कठिन परीक्षा पार पाऊँ।
गुरु वाणी को निज दोहराऊँ,
गुरु की महिमा नित-नित गाऊँ।
मोहे मिले चाकरी गुरु सेवा की,
गुरु को पूज के मैं तर जाऊँ।-
गुरु सिर्फ वो नहीं होते जो महज़ काग़ज़ी ज्ञान देते है।
गुरु वो भी है जो संस्कार और नैतिकता का संज्ञान देते है।।
गुरु जीवन के प्रत्येक पथ पर सही मार्ग बताते हैं।
भटके जो कभी डगर सदैव सही दिशा दिखाते हैं।।
माता पिता वैद्य और गुरु स्वयं ईश्वर का रूप होते हैं।
मानव के वेश में साक्षात् खुदा का स्वरूप होते हैं।।
गुरु हमको जीवन में बैकुंठ के मार्ग दिखलाते हैं।
अनाचार से बचा कर सदैव सत्य का मार्ग बताते हैं।।
गुरु ऊपर से चोट देकर अन्दर से हीरा तराशते हैं।
सदैव पीछे रह जाते हैं वो जो इन सबसे बैर पालते हैं।।
कहीं ना कहीं शिक्षक और शिष्य के रिश्ते बदल रहें है।
जीवन के अमूल्य रत्नों की तुलना कुछ सिक्कों से कर रहे हैं।।
कितनी भी कीमत दे लो शिक्षा का मूल्य नहीं दे पाओगे।
गुरु के बिना तुम सिर्फ बिन नाविक की नाव बन के रह जाओगे।।
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जीवन के इस पथ पर
जो कुछ भी सीखा दे
वो गुरु है
जीवन के इस पथ को
जो नई दिशा दे
वो गुरु है
जीवन कितना अनमोल है
जो इसको बता दे
वो गुरु है
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ನಿತ್ಯವೂ
ಸ್ವಾರ್ಥವಿಲ್ಲದೆ,
ಬೆಲೆ ಕಟ್ಟಲಾಗದ
ವಿದ್ಯಾದಾನ,
ದಾರೆಯರಿತ್ತಿರುವ;
ನನ್ನ ಅರಿವಿನ
ಗುರುಗಳಿಗೆ ಶರಣು.!-
“Happiness is ur nature .
It is not wrong to desire it
What is wrong is seeking out
When it is inside”
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अ के आरंभ से लेकर, अ के अंत तक
जिन्होंने सिखाया जीवन का संपूर्ण सार
सभी शिक्षक एवं गुरुजनों को
मेरा सादर प्रणाम बारंबार-
जिन्होंने मन की विषमता मिटा दी
जिन्होंने ज्ञान की गंगा बहा दी
जब मैने कहा कि दुर्भाग्य की लकीरें है माथे पर
भगवान बन कर लकीरें भी मिटा दी
जब निकाल दिया दुनिया से इस्तेमाल करके
वो गुरु ही थे जिन्होंने पनाह दी|
मां- बाप ने पाला, भगवान ने बनाया
पर संसार देखने के लिए आंखे तो गुरु ने अदा की-
मेरी कलम जो आज
इतना कुछ लिखती है।
कुछ और नहीं मेरे
गुरु की मेहनत दिखती है।।
हैप्पी टीचर्स डे-