वो मस्जिद का शिर्णी भी खाता हैं !!
वो मंदिर का लड्डू भी खाता हैं!!
वो भूखा हैं साहेब •••••
उसे मज़हब कहां समझ आता हैं!!-
इन ग़मो से ही कुछ ख़ुशी छाँट लिया करो
सुकूँ मिलेगा किसी का दर्द बाँट लिया करो-
जाग जाता है, एक नन्ही-सी आहट से वो गरीब..!
ऐ खुदा! उसके घर में लड़की तो है, पर दरवाजा नहीं।।-
अपनी मर्ज़ी का कोई काम नही करने देती
ये जो ग़रीबी है कभी आराम नही करने देती-
गरीबी ने कुछ इस तरह से, भूख को निचोड़ा है।
कि जो अमीर हो गए, उन्हें इंसानियत ने छोड़ा है।।-
दर्द पोशीदा है जिनकी पलकों की पनाह में
ख्वाहिशें मुंतजिर हैं उनकी इंसानियत की चाह में-
ये जिम्मेदारियां...
पिता के सर चढ़ी अनगिनत उधारियां..!
सब खा गईं मस्ती मटर-गस्ती और यारियां ...
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बहुत जल्दी सीखता हूं , मै "सबक" ज़िन्दगी से...
आख़िर गरीब का बच्चा हूं , बात - बात पर ज़िद नहीं करता🥺.....-
शायद अमीरों के लिए सुकून लाती होंगी ये बारिशें,,,,,
गरीबो को तो मैने, बारिशों मे परेशानियों से जूझते देखा है ।।।
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"भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें,
उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है।
मजबूरी में जिनकी ज़िंदगी लगी दांव पर,
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है।।"
(भारतमाता के मजदूर बेटों के लिए🇮🇳😷🙏)-