H🅰️Dℹ️Qu🅰️ NuSr🅰️T🌠   (HaDiqUA NuSRaT🥀)
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Joined 25 June 2020


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Joined 25 June 2020

मै अपने जज़्बात किस्से और कैसे ज़ाहिर करू माँ
तुझ बिन सब अधूरा सा लगता है माँ.....
दिन रात तो बस गुज़र जाती हैं माँ
तुझ बिन वक्त कटते नही कटती है माँ.....
तेरी यादें तेरी बातें पल पल मुझे सताती है माँ
तुझ बिन जैसे बेसुकूनी सा लगता हैं माँ.....
ऐसा लगता हैं ढेर सारी बातें तुझसे करनी है माँ
पर देखूँ तो तू है ही नही माँ.....
कितने प्यार से तू मुझे रखती थी माँ
मेरे हर लाड नखरे को पूरा करती थी माँ.....
मै जब बीमार होती थीं कितनी प्यार लुटाती थी माँ
मोहब्बत भरी थपकी से सुलाती थी माँ.....
मुझे अपने हाथों से तू खिलाती थी माँ
मुझसे कुछ भी काम ना कराती थी माँ.....
मुझे हर सही गलत बतलाती थी माँ
मुझे दुनिया की हर बला मुसीबत से बचाती थी माँ.....
मै अगर चुप रहूं तो मुझसे बोलवाती थी माँ
मै छोटी छोटी बात भी तुझसे कह जाती थी माँ.....
कहने को तो अब भी बहुत कुछ है माँ
मगर तू क्यूं नही है माँ......
मैं अब बहुत अकेले हो गई हूं माँ
मुझे बहुत याद आती हैं तेरी माँ.....
ऐसा लगता हैं तु वापस आयेगी मुझे सीने से लगाएगी
क्यूं रोती हैं हदिका कहकर मुझे चुप कराएगी....
मै थक गई हूं माँ झूठी मुस्कुराहट लाते हुए
लोगो के सामने खूदको मज़बूत दिखाते हुए .....
तेरी बहुत याद आती हैं माँ
तेरी बहुत याद आती हैं माँ........

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ऊब गई हूं मैं,
ये ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी से
अब कुछ रंगीन ख़्वाब सजाना है
सपनों की दुनिया को हक़ीक़त में बनाना है
खुले पंछी की तरह यूं आसमान में पर फैलाना है
यूं माउंट एवरेस्ट पर चढ़ कर तिरंगा लहराना है
यूं लंदन के टावर ब्रिज पर फोटो खिंचवाना है
समुंदर के किनारे बैठ कर खुद में खो जाना है
दुनियां की भीड़ से दूर एक अलग जहान में जाना है
ऊंची उड़ान भर कर हदिका मस्त मस्त हो जाना है
मंज़िल का तो पता नहीं यूं सफर का लुत्फ उठाना है
छोटी छोटी ख्वाहिशों को मौत से पहले पूरा कर जाना है
छोटी छोटी ख्वाहिशों को मौत से पहले पूरा कर जाना है

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मैं गुमशुम सी लड़की, यूंही कहीं खो जाऊंगी!!
जगमग सितारों के बीच मैं टूटता तारा हो जाउंगी!!
दफना कर सपनों को मैं कब्रिस्तान मे सो जाऊंगी!!
मैं गुमशुम सी लड़की, यूंही कहीं खो जाऊंगी!!
खुद का वजूद भूला कर मैं उम्र कैदी हो जाऊंगी!!
सबको संभालते संभालते मैं खुद ही टूट जाऊंगी!!
मैं गुमशुम सी लड़की, यूंही कहीं खो जाऊंगी!!

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दिल ना भी लगे तो लगाया कर !
भाई मेरा तू हर पल मुस्कुराया कर !
माना कि आसान नहीं है तेरे लिए !
मगर बेटा होने का फर्ज तू निभाया कर !
अब तक तूने खुद की सुनी !
अब मां बाप के ख्वाबों को पूरा कर !
तेरी बहन हमेशा तेरे साथ है !
तू अपना सुख दुख सब कुछ बतलाया कर !
खुद का अब खुद खुद से ध्यान रखा कर!
भाई बस मन लगाकर पढ़ा कर !
घर की फिक्र अब ना कुछ किया कर !
ज़रा सा न तू अब घबराया कर !
जब दिल करे फोन मिलाया कर !
दिल ना भी लगे तो लगाया कर !
भाई मेरा तू हर पल मुस्कुराया कर !

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हाथ किसी का थामती नहीं छूटने से डरती हूं !!
मां बाप ने मुश्किल से पाला है टूटने से डरती हूं!!
दोस्त हमारे कम है उन्हे रूठने से डरती हूं !!
नफरत से नहीं जनाब मोहब्बत से डरती हूं!!

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दोस्ती ek खूबसूरत ehsas है ।
oo pgl तू मेरे liye सबसे khas है।
Mujhe ऐसा लगता tu मेरे आस pass हैं।
मुझे khud से ज़्यादा tujh पर wiswas हैं।
Tu जैसी bhi है mere लिए mumtaz हैं।
Tajmahal भी tere सामने bakwass है।
मेरी panda लेकिन tu सबसे jhakass हैं।
वक्त jaisa bhi हो tu मेरे साथ sath है ।
दोस्ती ek खूबसूरत ehsas है ।
oo pgl तू मेरे liye सबसे khas है।

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हर दिन एक नई शुरुवात करते हैं!!
चल ज़िन्दगी आज खुद से मुलाक़ात करते हैं!!

बहुत हो गई अब लोगो से राबता !!
अब बस रह गया हदिका खुद से खुद का वास्ता!!

अब न ही कोई शिकायत करते हैं !!
और ना ही कोई फरमाइश करते हैं !!

बीते हुए कल को छोड़ आगे की ओर बढ़ते हैं!!
जहां ले जारी ज़िंदगी हमे,उस राह पर चलते हैं!!

हर दिन एक नई शुरुवात करते हैं!!
चल ज़िन्दगी आज खुद से मुलाक़ात करते हैं!!

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अदब, तहज़ीब,सादगी इतनी रिवायती हो हदिका_
की देख मेरा क़िरदार मेरे तर्बियतदार को लोग दुआ दे हज़ार _
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थकी हुई हु मै थोड़ी ज़िंदगी भी नाराज़ हैं !!
पर कोई बात नही हदिका ये तो रोज़ की बात हैं !!
समय का पहिया आगे तेज़ी से बढ़ रहा है !!
कौन जानता कितना वक्त मेरे पास है !!
ख़ामोश होकर सह रही बेहतर होने की आस हैं !!
उलझन में फसी हूं मगर खुद की तलाश है !!
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Ek taraf Eid aane ki khusi bhi hain
Dusri taraf matam-e- mout bhi hain

Khauf-e- waba ke asaar bhi hain
Baazar me kafan ke khariddar bhi hain

Mushkil-e-waqt khtam hone ka intezaar bhi hain
Apno se dooriyan ikhtiyar bhi hain

Yahan har shakhs preshan bhi hain
Magar gunahon se anjaan bhi hain

Ek taraf Eid aane ki khusi bhi hain
Dusri taraf matam-e- mout bhi hain

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