भले लाख फ़ासले हो फ़िर भी दूरियों की कोई गुन्जाइश नहीं होती ,
ये सच्ची मोहब्बत है जनाब इसमें पूरी हर इक फ़रमाइश नहीं होती..!!!-
खुदा से बस इतनी सी ही फ़रमाइश है
वो क़ुबूल करे जो भी उसकी आज़माइश है
एक तुम ही नहीं जो उससे दिल लगाये बैठे हो
तुम्हारे साथ- साथ वो हज़ारो की ख़्वाहिश है...-
ख़ुदा से करनी बहुत फ़रमाइशें है
बस ख़ुदा मेरी सून ले यही काफ़ी है-
एक ही तो फ़रमाइश दिल-ए-नादाँ करता है, बार बार
तुमसे मिलना, तुमसे मिलना, तुमसे मिलना, बार बार-
ये मसला बड़ा पेचीदा हो चला है
इसमें अब सुलहो की गुंजाइश भी नहीं
यहां हर रोज कोई ना कोई खफा रहता है
इस दुनिया से अब हमारी भी कोई फरमाइश नहीं-
इस दिल की अधूरी ख़्वाहिश है तू
जो पूरी न हो सके वो फ़रमाइश है तू
लाज़मी है तेरा खुद पर गुरुर होना
आख़िर मेरी चाहत की साज़िश है तू
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सबको आजमा लिया सबको देख लिया,
अब किसी से कोई ख्वाहिश नहीं...
अब खुद की ही खुद से जंग है ,
किसी से कोई फरमाइश नहीं...-
आज बड़े दिनों के बाद,
उनसे मुलाक़ात कि फरमाइश आयी थी..!!
यें जो सुख गए थे दिल के जख्म,
आज फिर से उनको ताज़ा करने कि बारी आयी थी..!!
वो पूछ रहे थे हाल-ए-दिल मेरा,
और यहां रूह से जान निकलने कि बारी आयी थी..!!
आज बड़े दिनों के बाद,
उनसे मुलाक़ात कि फरमाइश आयी थी..!!-
ईंटो का बजन थोड़ा और बढ़ा दो साहब..
घर पर आज मेरे बच्चों ने
खिलौनों और मिठाई की फरमाइश की है...
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