अब तो ख्वाहिशें भी हमें पहचानने से कतराती हैं,
हर बार उम्मीद के हाथों कत्ल होते-होते थक गई हैं।
सीख लिया है हमने -
दिल की बात, दिल में ही दफ़न करना आसान है।-
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Nature lover 🍁🍀🌿🌳🌳�... read more
मिट्टी का शरीर है मिट्टी में जाना है,
फ़िर भी न जाने लोग तन पर इतराते हैं।
दुनिया के मेले में हर शख़्स अकेला है,
सब जानते हैं, पर सबको भूल जाना है।
ग़रूर करता है इंसान अपने मुक़ामों पर,
कफ़न में न जेब है न कुछ ले जाना है।
धन-दौलत, शोहरत, सब धूल हो जाएगी,
बस नेकियाँ हैं जो साथ में निभाना है।
मोहब्बत कर, दिल जोड़, दिल तोड़ना छोड़ दे,
दिल टूटे तो उस आँसू को रब तक पहुँचाना है।
क़ब्र के सन्नाटे में बस नाम रह जाएगा,
बाक़ी हर आवाज़ को मिट्टी में सुलाना है।-
सच्ची मोहब्बत हो तो सब महसूस हो जाता है,
सोचो जो दिल से — वो हक़ीक़त बन जाता है!-
Ek Product Ka Base Price = ₹100
Aur Maan Lo Pehle GST = 18% tha
OLD Price Calculation : Base Price = ₹100
GST (18%) = ₹18
CUSTOMER Pays = ₹118
Ab Maan Lo GST kam ho ek 12% ho gaya.
COMPANY ke Paas 2 OPTION Hote Hain
OPTION 1 – Pure Benefit Pass On (Customer ko Full Fayda )
Base Price Same = ₹100
GST (12%) = ₹12
Customer Pays = ₹112
➡️ Price Sach Me Kam Ho Gaya (₹118 → ₹112)
OPTION 2 – Company Apna Base Price
Badha De (PROFIT MAXIMIZE)
Company Sochegi – "GST kam Ho Gaya,
Customer ko to Price Kam Lag hi Raha Hoga,
Main Thoda Apna Margin Badha Leta hu."
New Base Price = ₹104 (Thoda Badha Diya)
GST (12%) = ₹12.48
Customer Pays = ₹116.48
➡️ Dekha ? Price Ab Bhi Kam Hai (₹118 → ₹116.48)
Par COMPANY Ka Profit Margin Badh Gaya Hai
Kyunki Base Price Badha Diya.
CUSTOMER ko Lagta Hai “GST Kam Hone Se price Kam Hua”
par company ko extra profit mil gaya. 😅-
बहुत थक गई हूँ मैं,
अब लगता है ये लड़ाई बेकार थी।
हर बार टूटकर भी मुस्कुराई मैं,
पर अब मुस्कान भी जैसे धोखा लगती है।
अब सोचती हूँ.....
काश नींद ऐसी आए
कि फिर कभी आँख ना खुले।
काश इस दिल के शोर को
कोई सदा के लिए ख़ामोश कर दे।-
घर की चौखट पे पली-बढ़ी मैं,
पराई कहकर ठुकरा दी गई मैं,
फैसलों में नाम मेरा कभी आया नहीं,
राय दी तो उसे किसी ने अपनाया नहीं,
कहते हैं बेटी घर की रौनक होती है,
पर क्यों उसकी आवाज़ को जगह नहीं मिलती है?-
ये आज भी बहुत कड़वी सच्चाई है…
बेटियाँ चाहे कितनी भी पढ़ी-लिखी, समझदार और जिम्मेदार हों,
कई घरों में उनकी राय को महत्व नहीं दिया जाता।
उन्हें बस सुनने वाला माना जाता है, बोलने या निर्णय लेने वाला नहीं।
ये सोच पीढ़ियों से चली आ रही है कि बेटी “पराई” है,
और इसी सोच के कारण उसके अपने घर में भी उसकी बात को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
लेकिन सच्चाई ये है कि घर वही है जहाँ हर सदस्य - बेटा या बेटी - बराबरी से अपनी राय दे सके और सुनी जाए।-
ज़िन्दगी लहंगे से नहीं चलती,
लड़के के लहज़े से चलती है।
25 लाख का लिबास पहन कर भी,
अगर इज़्ज़त ना मिले - तो क्या फ़ायदा?
ज़रा सोचो, दहेज में मिली चीज़ें गिनाने वाला,
कल तुम्हारे आँसू भी गिन सकता है।
इसलिए लहंगा नहीं, लड़का देखो -
जो तुम्हें लड़की नहीं, इंसान समझे।-