मुद्दा ये था कि मुद्दे की बात करेगा कौन??
-
मुझ में तुम ही तुम हो
कोई और नही
कैसे कहूँ तुम्हें..................
आशिक हूँ पर दिल फेक नही-
वो लोग जो जियादा जानते हैं
वो बेवफ़ाई को कहां ख़ता मानते हैं
दिल की सुनने वाले ही अक्सर
इक बेवजह को वजह मानते है-
Yaar chordo kyu mazak karte ho
Kis dil fek ko
Tum bhabhi bhabhi kehte ho
Jb-
गली-गली से आशीक निकले
मुश्किल में दिल कर दीया...
एक ही दिल किस-किस को देती
इसलिए अपने ही पास महफ़ूज़ रख लिया...
इन्तीहा तो देखिए इन दिल फेक आशिको की
हमारा नाम दिल तोड़ने वालो की लिस्ट में लीख दीया...-
ग़नीमत है इश्क़ का मतलब जानते हैं,
दिल तोड़नेवाले मेरी जाँ कहाँ मानते हैं-
दिल फेंक हो अगर तो दिल फेंक रहो
दिलदार हो अगर तो दिलदार रहो
सिरते बदली तो बड़ा पछताओगे तुम
तुम जो हो बस तुम वही रहो
लहजे मे अपने रहकर वफादार रहो-
बड़ी मसहूर तुम अपनी गलियों में ,महफ़िलों में ,कहानियों में...
और
बड़े दिलफेक तुम्हारी गलियों में ,महफ़िलों में ,कहानियों में!
(और वैसा ही)
अलबेला इक़रार ,फरियाद ,गुज़ारिश... तुम्हारे नज़राने में,
और
अल्बेलि शर्म ,डर ,चाहत...उनके नाज़रने में!-