हम भी निकले थे मुहब्बत की तलाश में,
सर्दी बहुत थी चाय पी कर वापस आ गए ।।-
जीना सीख रहा हूँ...
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हम भी निकले थे मुहब्बत की तलाश में,
सर्दी बहुत थी चाय पी कर वापस आ गए ।।-
संजीदा थे,
जब दूसरे पर मरते थे।
अल्हड़ हैं,
अब खुद के लिए जीते हैं..!!-
जो समझ सकते हैं उन्हें फुरसत नहीं,
जो समझना चाहते हैं उनके बस के नहीं हम ।।-
हम लड़के हैं ज़नाब,
लोग हमसे प्यार हमारी salary देख कर करते हैं ।।-
न online होने की फ़िक्र
न offline होने का बहाना
चिट्ठियों के दौर में कितना हसीन था ज़माना-