दरख़्त पत्तों से मिलकर जो छांव बनाता है
दरिया पार करने को वही तो नाव बनाता है
कोई भी ज़ख्म जब ठीक होने लगते हैं मेरे
कोई मक्खी बैठ कर फिर घाव बनाता है
वस्ल ओ हिजर एक सिक्के के दो पहलू हैं
जो दिल बनाएं हैं यार वही तो पांव बनाता है
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❤️25th November❤️I m student of B.tech{1sem} narasraopeta college of en... read more
मेरे सारे मित्रों से अनुरोध है की Instagram par mujhse jud jaaye 1St जनवरी से YQ shutdown ho rha hai
Shadab rahbar _786-
रविश कुमार:-हम सुने की आप मुझे इंटरव्यू देगें
मोदी जी:- नहीं नहीं 👇👇-
जिनके मुख में समाया हो ब्रह्माण्ड सारा
वो है नटखट कन्हैया मुरली वाला-
लेकर मैं सम्पूर्ण संसार का दर्शन करूं
हो आगमन कान्हा तेरे तो घर को वृन्दावन करूं-
यादों के रेल में सवार होकर जब तन्हाई के स्टेशन से गुजरता हूं
जैसे धधकता है इंजन का कोयला वैसे मैं धधकता हूं-
तू किसी बाग की पहरेदार लगती है
या फिर इश्किया इश्तेहार लगती है
कोई जादू है तेरी आंखों में शायद
हर दफा तलब ए दीदार लगती है
कानों में झुमके पैरों में पायल भी
तू कोई हुस्न की बाज़ार लगती है
तेरी नज़रों से पीता हूं जब जब
इक अजब सी खुमार लगती है
कौन है मेरे ज़िंदगी का रहबर
उसके बिना सब बेकार लगती है-
गुलाबों के शहर में वो कांटों से इज़हार कर रहे हैं
मेरे लिए सहरा में आब का महल तैयार कर रहे हैं
वो कैसे लोग है जो उन पर फ़िदा है दिल ओ जान से
हम तो बना कर मुजास्सीमा उन एतबार कर रहे हैं-
आधे चेहरे को सजाया है और आधे को छोड़ दिया
तेरे पायल की खनक ने तो कितनों का दिल तोड़ दिया-
सुंदरता की परिभाषा आपके किरदार में हैं
ये यौवन तो चंद दिनों की मेहमान है-