पहचानता हूँ सब ऋतु
बस मोसम ही बहार का
बहुत सताता...!
खड़ा हूँ पेड़ किनारे
हर कोई गुज़र कर
बस चला जाता...!
तन्हा भी तो नहीं रहने दिया
कदमों की आहट ने
के बात अलग है
मैं अब दिल नहीं लगाता...!
कर लो जितने
मान मुनव्वर
जाने वाला
नहीं लोट के आता...!-
Sunita Hans
(Sunita Hans)
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Joined 22 February 2020
1 APR 2023 AT 17:30
19 JAN 2023 AT 18:12
दो पल ही सही
खुद से मुलाकात करो
सपने थे जो रह गये
कुछ टूटे कुछ बह गये
फिर नई शुरुआत करो
ज़िन्दगी से बात करो-
16 APR 2021 AT 23:27
रहते हो दिल में सदा
खूबसूरत अहसास बनकर
कभी ऐतबार बनकर
तो कभी इंतज़ार बनकर
रहते हो आँखों में सदा
हँसी ख्वाब बनकर-
2 JUN 2021 AT 0:02
बैठ ज़रा, कुछ पल तो बिता
रिती* जा रही खफ़ा-खफ़ा
बुला रही अब मान भी जा
लुक्का-छिपी बहुत हुई
नज़र मिला सामने आ-
18 MAY 2021 AT 21:58
तो सोचना वो मोड़
जहाँ से तुमने बदला था रास्ता
वही मिलेगा मुझ तक
रास्ता और मोड़-
9 MAY 2021 AT 21:31
जो ज़िंदा थे अहसासों से
अब इन रिश्तों में
बचा है तो बस
मतलब और ज़रूरत-