तेरा हर छल,
ज्ञात है,
मुझे !
तब भी सब,
माफ़ है,
तुझे !
तू भी जनता है,
मैं छोड़ नहीं,
सकती तुझे !
तभी तेरे रोज,
के काम है ये,
अब !!-
बिन,
इजाजत के !
जो हाथ,
न थामे मेरा !
❣️
वो,
प्रेम में छल,
भला कर,
सकता है क्या !!-
छल है ,दिखावा है
ये झूठी दुनिया का जाल है
धोखा है, दर्द है
ये इश्क़ बड़ा बवाल है
हुनर रखता है फितरत बदलने का
ये इंसान बड़ा कमाल है
मर जाते हैं जिनके ज़मीर
उनके लिए क्या हराम और क्या हलाल है-
ना छल करते हैं ना कपट करते हैं l
हम महादेव के दीवाने हैं हम बस
महादेव को ही याद करते हैं l-
छल करने वाले नहीं गढ़ पाते कभी प्रेम प्रतिमान,
वो नहीं लिख पाते प्रेम कविताएं,
कभी नहीं भर पाते दंभ अपनी मोहब्बत का,
क्यूंकि वंचित कर दिया जाता उन्हें उनके ही वज़ूद द्वारा प्रेम हेतु,
छलबाज होते हैं अपूर्णता का सजीव उदाहरण।-
नजरों से छलकर कत्ल कर गया वो,,
दिल दुखाकर दिल में घर कर गया वो.......!!-
प्यार पाने का एक वहम मेरे दिल
में पला है...
अपनों से नहीं मिला तो, ये दिल गैरों
में ढूंढने चला है...
मगर गैरों ने भी गैर होने का अहसास
दिलाकर ,आजतक सिर्फ छला
ही छला है...-
द्वेष पर लिखी नहीं जाती कोई कविता
आदम के दिमाग़ की तरह
कविता को 'छल' नहीं आता..!-
हम साथ निभाने आये थे,
तुम हाथ छुड़ाकर चले गए।
हम भोले से मन के थे सदा,
बस प्यार के छल में छले गए।।-
मेरे श्याम मैं बिल्कुल टूट चुकी
अब आस तुम्हीं से है स्वामी ।
छल से भरी इस दुनिया में
तुम ही हो मेरे हितकामी ।
दुनिया से शिकवा करू भी क्यों
मुझे विश्वास है अपनी भक्ति पर ।
तुम निराश नहीं करोगे मुझे,
है विश्वास तुम्हारी शक्ति पर ।
जग छले मुझे छलता जाए
मैं रहूंगी तुम्हारी अनुगामी ।
तुमसे ही सीखी है मैंने
प्रेम की अनुपम परिभाषा ।
है प्रेम मेरा निश्चल कान्हा,
छल क्यों मेरे हिस्से आता।
अब और नहीं सह सकती मैं,
तुम ले लो मुझे शरण स्वामी ।
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