बुजुर्ग
बुजुर्गो की भी अजीब कहानी हैं
ना खाने को रोटी बस आँखो मे पानी हैं
शरीर के हाथों हारे ये मन के जवान हैं
घर मे बुजुर्ग ज़रूरी हैं क्योकि ये भगवान हैं!!
😊😍🙏🙏🙏
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नए कमरो में अब पुरानी चीज़े कौन रखता हैं....
परिंदो क लिएे शहर में पानी कौन रखता है...
हम ही थामे रहे गिरती हुई दीवारों को.....
वरना तरीके से बुजुर्गों की निशानी कोन रखता हैं.....-
वो बुज़ुर्ग 👴
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अपनों के बीच भी, घर में वो तन्हा सा लगा !
वापिस अख़बार देख के, आज वो खुश सा लगा ।।
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छोटी सी उम्र में डूबी है एक बड़ी सोच में
नज़रें तैर रही है सुखी लकड़ी की ख़ोज में
जितना बोझ ज़िन्दगी की ज़िम्मेदारी का है
उतना भारी नहीं है सर पर रखी बोझ में
उम्र मायने नहीं रखती क्या बड़ी क्या छोटी है
सबसे बड़ी जरुरत बस दो वक़्त की रोटी है
जब मेहनत ही ज़िन्दगी का जुनून बन जाये
क्या फ़र्क पड़ता किस्मत अच्छी या खोटी है
सूरज के डूबने से पहले हार नहीं मानेंगे हम
ज़िन्दगी से लड़ना है दूर नहीं भागेंगे हम
ख़्वाब आँखों में आना चाहें पर आये कैसे
कल की फ़िक्र में आज सारी रात जागेंगे हम
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अपने बुजुर्गो की आवाज को कभी अनसुना मत करना....
सुना है उपर वाला उनकी आवाज बहुत जल्दी सुन लेता है.....-
बुजुर्ग इंसान
बुजुर्ग इंसान है एक वृक्ष,एक दरख़्त
जिसकी छाया में अपनो ने सूकून लिया हर वक़्त
जीवन जिया जिसने हर एक अनुभव के साथ
मोह के बंधन में जिसने पकडा अपनो का हाथ
पता नही था उसे,कब सभी रिश्ते पराये हो जाएंगे
प्यार से रखा जिनको ,वो एक दिन वो प्यार भूल जाएंगे
जिन अपनो का पकडा था हाथ ,वो सभी हो जाएंगे अनजान
जिन्दगी के आखिरी पड़ाव में वो राह हो जाएगी सुनसान
बहुत कम मिलते है श्रवण कुमार जीवन में
वो सेवाधर्म ,वो प्यार ,वो सम्मान जीवन में
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अगर घर के बुजुर्ग बोझ लगने लगे तो बस इतना याद रखना कि जिनके पैरों में अब दर्द रहता है
उन्होंने कभी आपको चलना सिखाया था
If the elders of the family have become a burden then just remember
that those who have pain in their feet now had taught you to walk.-
यूं तो घर के किसी कोने में चुपचाप रहते हैं,
लेकिन उनके जाने से रौनक चली जाती है।
बुजुर्ग होते हैं तो छाया रहती है,
उनके जाने से जैसे छत चली जाती है।-
इन बुजुर्गों से ही ये किस्से पुराने मिलते हैं,
इन किस्सों से ही तो अनुभव के खजाने मिलते हैं
बुजुर्ग हैं तो ये देहलीजे पुरनूर रहती है,
ये ना हो तो घर घर वीराने लगते हैं,
फिक्र की कैफ़ियत, लहजा-ए-तहज़ीब है इनमें,
ये बुज़ुर्ग ही तो हैं जो रिश्ते संभाले रहते हैं,
बातों में गुलाबों सी महक, एहसास-ए-मोहब्बत है,
इनके पास बैठो तो सुकूं के तराने मिलते हैं __!!
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घर में अब कोई बुर्जुग नही बचा..
एक नीम का पेड़ था...
वो भी अब काटा जा चुका...-