नवरात्रि स्पेशल
हम बालक नादान
करती माता जग कल्याण
है तेरा रूप जो हमें संभाले
पाल-पोष संकट को टाले
तुमसे जो टकरा सके
है कौन ज़िगर बलवान
हम बालक नादान
करती माता जग कल्याण
माँ दुख ने बहुत सताया है
यहाँ अँधे लालच की माया है
गिर-गिर के समझ ये आया
ना माँ से बड़ा धन-ज्ञान
हम बालक नादान
करती माता जग कल्याण
जो हाथ जोड़ चरणों को ताज़े
मन में ज़िसके गुनगुना विराजें
माँ रखती भगति का मान
ना हो मानव जीवन वीरान
हम बालक नादान
करती माता जग कल्याण।-
रख लूँ नज़र में चेहरा तेरा,
दिन रात इसी का ध्यान करती रहूँ..!!
जब तक मेरी साँस चलती रहें मेरे कान्हा,
दिन रात में तुम्हें ही याद करती रहूँ...!!-
दुनिया से मैं हारी... आयी तेरे द्वार...
यहाँ से अगर जो हरी.. कहाँ जाऊंगी मैं सरकार..🌹🌸-
In a world full of people,
who are crazy after 'raps'..
go and find someone..
who love 'bhajans'..-
ନୀଳ ଜଳରାଶି ଝୁରେ ଦିବା ନିଶି
ଶ୍ରୀପଦ୍ମ ଦିବ୍ୟ ଚରଣ
ଚନ୍ଦନ କସ୍ତୁରୀ ତେଣେ ଝୁରିଲେଣି
ହେବାକୁ ଦିଅଁ ଲାଗଣ
ଭବ୍ୟ ଭଣ୍ଡାରର ଆତିଥ୍ୟ ନେବାକୁ
କାହିଁ ପ୍ରତିଛବି ମୋ'ର
ପ୍ରତ୍ୟୁତ୍ତର ବିନା ପ୍ରଶ୍ନ କି ଉଙ୍କିବ
ପରିଶୁଦ୍ଧ ଭାବନାର
ସାୟାହ୍ନେ ସକାଳେ ପ୍ରଭୁ ଲୀଳା ଦ୍ୱାରେ
ତୁଳସୀ ବାସେ ଅଧୀର
ଦିବ୍ୟ ପରିଧିର ଅନନ୍ତ ଅମ୍ବରେ
ତବ ନାମେ ପ୍ରତିକ୍ଷଣ
ଶ୍ୱାସ ଆଶ୍ୱାସରେ ଶ୍ରୀନାମ ଭଜରେ
ଭକ୍ତିଯୁଗ ନିରନ୍ତର
ଆୟୁଷ ଅଗ୍ନିରେ ଆହୁତି ଦେଲେ ହେଁ
ପ୍ରହରେ ବୈକୁଣ୍ଠ ପୁର-
भजन-
प्रभु तू ना मिला-2, सारी दुनिया मिले भी तो क्या है।
मेरा मन ना खिला-2, सारी बगिया खिले भी तो क्या है।।
मैं धूल हूं और तुम हो गगन, कैसे हुए तेरे पावन चरण।
लाख बंधन यहां-3, मन में भक्ति पले भी तो क्या है।
प्रभु तू ना मिला-2, सारी दुनिया मिले भी तो क्या है।।
तकदीर की मैं कोई भूल हूं, डाली से बिछड़ा हुआ फूल हूं।
संग साथी नहीं-3, संग दुनिया चले भी तो क्या है।
प्रभु तू ना मिला-2, सारी दुनिया मिले भी तो क्या है।।
चरणों में आके जो रो लेते हम,आंसू नहीं वो मोती से कम।
तेरी चरण नहीं-3, मेरे आंसू गिरे भी तो क्या है।
प्रभु तू ना मिला-2, सारी दुनिया मिले भी तो क्या है।।-
भजन-
चेतन को मिला जब नर तन तो, फिर होश में आना भूल गया।
इस हाट में बारा बाट हुआ, निज हाट में आना भूल गया।।
इस भूल में इतना फूल गया, कि ब्याज के बदले मूल गया।
माया ठगनी ने ऐसा ठगा, कि अपना बिराना भूल गया।।
फिरता है तीरंदाज बना, निज लक्ष्य का कुछ भी ध्यान नहीं।
तू कैसे तीर चलाएगा, जब पहला निशाना चूक गया।।
स्वार्थ सिद्धि का मंत्र बना, कहने को तू सरपंच बना।
निज कार्य जरा ना रंच बना, कर्तव्य निभाना भूल गया।।
अविरत, कषाय और योगों से दिन- रात जो पाप के बंध किये।
नरकों में ऐसी मार सही, जो गुजरा जमाना भूल गया।।
हीरा- पन्ना- माणिक- मोती, ये सब पुद्गल की पर्यायें।
कंकड़- पत्थर पर मुग्ध हुआ, आतम का खजाना भूल गया।।-
मर कर भी अमर नाम है,
उस जीव का जग में,
प्रभु प्रेम में बलिदान जो ,
जीवन किया करे।।।
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