सफर में थे हम ,
सफर अधूरा रह गया ,
यूँ कहा पता था की
ज़िन्दगी खत्म हो जाएगी-
कभी खबर संदेशा दे दे
क्या है तेरा हाल
रुत परदेसी रखती होगी
शायद तेरा ख्याल-
सफर में तुम साथ हो तो,
लगता क्यों नही!!
जो तुम पास हो तो,
लगता क्यों नही!!,
न जाने क्यों ये दिल मानता नहीं,
के तुम , अपने होकर भी
अपने क्यों नही??-
अब वो बात नहीं होती,
जो पहले होती थी,
वो मुलाकात नहीं होती ,
जो पहले होती थी ,
वो इंतेज़ार , वो इकरार भी नही रहा,
न जाने कहाँ खो गया ,
अब वो प्यार भी नही रहा ।।-
तुम्हें न समझे तो , किसे समझें ?
तुम्हें न चाहे तो , किसे चाहें ?
इतना ना सोंच , बस लग जा गले ,
सुन मेरी दिल की धड़कन ,
और खुद कर फैसला.....
के, तू मुझे न चाहे , तो किसे किसे चाहे ?-
अगर हम "तुम" हो जाये ,
तो तुम "तुम" न रहोगे,
और तुम "हम" हो जाओ,
तो ,
तुम हमारे न रहोगे ।।-
कुछ नया , कुछ अच्छा,
कुछ खास सा लगता है,
ये दिल उदास था,
न जाने क्यों,
अब, आबाद सा लगता है।-
यूँही, छूट जाता है ,
इतना सुहाना सफर
चलते - चलते एक ही डगर ,
न सोचा था न जाना था ,
हो गए हम बेखबर
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