कहो ना...ये कैसा इश्क है तुम्हारा..??
कि कभी मेरे आंसुओं को आंखों से गालों तक भी नहीं आने देते,
और कभी तकिया भी भींग जाए तो तुम्हें फर्क नहीं पड़ता...
कहो ना.. ये कैसा इश्क है तुम्हारा..??
की कभी तो बिना कुछ कहे ही समझ जाते हो मुझे,
और कभी मैं समझा कर थक भी जाऊं तो तुम्हें फर्क नहीं पड़ता..
कहो ना..ये कैसा इश्क है तुम्हारा...??
कि कभी तुम एक बच्चे सा ख्याल रखते हो मेरा...
और कभी तुम्हारे ख्यालों से निकल भी जाऊं तो तुम्हें फर्क नहीं पड़ता..
कहो ना ये कैसा इश्क है तुम्हारा..??
कि कभी 24 घंटे भी बात कर लो तो कम सा लगता है,
और कभी सप्ताह भी बीत जाए बिना बात किए तो तुम्हें फर्क नहीं पड़ता..
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