इतना भी आसान नही होता है इश्क़ में आशिक़ बन जाना किसी की बेवफ़ाई को भी वफ़ा कहना पड़ता है । कितने भी पत्थर बरसाए ज़माना आशिक़ों पर जिस्म न भी कहे, फिर भी हाथ दुआ में उठाना पड़ता है ॥
जब हम जिंदा थे तभी दुनिया कोई काम नहीं आए, काम के लिए और उन्होंने कटु व्यवहार और चपलता का रुख अपनाए। यूं तो दुश्मन भी मरने पर रोते हैं, जब हम मरे तो साले लाश को भी जलाने आ गए।।