~*~ साथ तुम्हारे मेरे अनुभव ~*~
साथ तुम्हारे मेरे अनुभव, अद्भुत और अनोखे हैं,
कहीं-कहीं हैं धूप गुलाबी, कहीं पवन के झोंके हैं ॥
क्या कहूँ तुम्हें वे इतने मीठे, रबड़ी, रसगुल्ले भी फीके,
हैं कोमल इतने भाव हमारे, रेशम के धागों से प्यारे ॥
हाथ तुम्हारा, साथ तुम्हारा, आवाज़ तुम्हारी, शब्द तुम्हारे,
स्पर्श तुम्हारा, संबोधन मेरा, आलिंगन मेरे अनुभव है ॥
हृदय तुम्हारा, धड़कन मेरी, रात तुम्हारी, सपने मेरे,
खुली हुई आँखों के देखे, ख़्वाब, हमारे अनुभव हैं ॥
साथ तुम्हारे मेरे अनुभव, अद्भुत और अनोखे हैं,
कहीं-कहीं हैं धूप गुलाबी, कहीं पवन के झोंके हैं ॥
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