Megha gupta   (Meenu)
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Joined 19 September 2020


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Joined 19 September 2020
2 HOURS AGO

सुंदरता, प्रेम की शर्त कभी नहीं हो सकती है!

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YESTERDAY AT 20:09

मुझे मालूम था शामिल नहीं हो पाओगी
इस दुनिया में तुम
डायरी हंसी और समेट लिये आंसू मेरे!

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25 APR AT 20:28

खुद को देखती हूँ तो खोया हुआ पाती हूँ
इस आईने वाली लड़की का सिर्फ चेहरा मुझसे मिलता है

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24 APR AT 19:07

आलम ये कि तन्हाई से डर लगता है
मसला ये कि तकदीर में कोई नहीं है

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23 APR AT 20:59

अपने गिरेबाँ को कैसे बर्दाश्त करते होंगे
औरों पर उठाते है जो उंगलियां, आइना कैसे संभालते होंगे!

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22 APR AT 20:54

जितनी शिद्दत से तकता है चाँद को वो,
वो तारा अपने संगदिलों को तो भूल ही जाता होगा!

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21 APR AT 19:29

After seeing my relative status




My reaction:

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20 APR AT 21:33

कौन जानता है हकीकत उन तश्वीरों की
मुस्कुराते मुस्कुराते जो सहम जाती हों!!

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19 APR AT 17:47

न जाने कितनी कहानियाँ है दफन इस अब्र-ऐ-गुलिश्ता में
हम जिसे आसमान कहते है हमारा राजदार भी तो है!

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18 APR AT 18:15

अरसे बाद आज खुद की, एक तशवीर निकाली मैंने
ख़ुश नहीं थी आँखें पर वो नमी छिपाई मैंने
अरसे बाद देखा है आइना, मुस्कुराते हुए
कितने बरस हो गए थे यूँ खुल कर खिलखिलाते हुए
आखिर किस दुनिया में उलझी थी मैं
जो ये दुनिया भुलाई मैंने
भला अपनी ही मुस्कुराहट, क्यों छिपाई मैंने??
चलन है उंगलियां उठाने का तो उठा देती हूँ,
हालातों पर उंगलियां
लेकिन, है शिकायत फिर भी
कि क्यूँ तलवार नहीं चलाई मैंने
खैर, ये मौसम शिकायतों का तो रहेगा यूँ ही सदाबहार
फिलहाल हूँ ख़ुश कि कोशिशों से मुश्किलें हराई मैंने
ख़ुश नहीं थी आँखें पर नमी छुपाई मैंने!!

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