मैं राई को पहाड़ बना सकता
हर बात का बतंगड़ बना सकता ।
ऐसे ही बदनाम नहीं है हम
प्यार को नफरत में बदल सकता ।
वैसे तो शुन्य का साथ है मेरा
अपने आप से मतलब है मेरा ।
ऐसा नहीं कि मै अपनों के साथ नहीं
इतना आसान भी नहीं पड़ना दिमाग मेरा ।
वक़्त की मार ने बनाया है पत्थर मुझे
आज जरूरी है ,नहीं है कल का ज्ञान मुझे।
समझने वालों की कमी है मेरे साथ
इसलिए नहीं है जरूरत, किताबे है साथ पता है मुझे।
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3 OCT 2020 AT 21:44
10 JUN 2021 AT 14:45
तेरे मोहब्बत के शौक़ ने इतना तो काम कर दिया,
जो नहीं जानते थे मुझ उनमें भी बदनाम कर दिया-
23 AUG 2019 AT 21:27
शुक्रगुज़ार हैं हम उस बदनामी की
कम से कम एक दिन में वो हमें सौ बार ज़रूर याद करती होगी-
14 MAR 2020 AT 8:39
लिखके तमाम किस्से उसके
तू उसे हरगिज बदनाम नही करेगा
जिससे तूने रिश्ता" रूह "से जोड़ा है
उसकी चर्चा तू महफ़िल में सरे -आम नही करेगा-
20 OCT 2020 AT 21:10
बदनामियो के चार शब्द
क्या पता उतर जाए
मोहब्बत का नशा
इस नुश्खे से!!-
25 JUN 2017 AT 20:41
बदनामी के दौर में, साथ खड़ा, एक शक्श नज़र आता हैं,
मेरा साया भी, मुझसे अब, जरा दूर खड़ा नज़र आता हैं..!-
1 MAY 2020 AT 21:26
शोहरत बेशक़ चुप चाप गुजर जाए,
पर कम्बख्त बदनामी बड़ा शोर मचाती है ।-
3 FEB 2021 AT 13:43
जो करे खिलवाड़ औरत की इज्जत से,
उसे हम इंसान नहीं कहते,
जिसे हो न कदर उसके ज़ज्बातों की,
उससे कलाम तो क्या......
हम सलाम भी नहीं करते।-