हर किसी को हर तरह की कीमत चुकानी पड़ती है
फ़िर भी कुछ ऐसा है की हिम्मत दिखानी पड़ती है
एक मैं हूँ कि दिखाते चुकाते गुज़र सा गया हूँ
एक तुम हो कि तुम्हें अब सब कुछ जतानी पड़ती है
ऐतबार हो तो इतना विश्वास रखना या कर लेना
यहां तो हर किसी को ही नेमत बतानी पड़ती है
अजीब दास्ताँ है इस दुनियां की दुनियादारी की भी
रहते रहते ही दुनियां को दुनियादारी सिखानी पड़ती है
कोई कारोबार थोड़ी न है कि कोई दो चार दिन में सिख ले
सीखते सिखाते यहाँ तो उम्र ही तो बितानी पड़ती है
उम्रभर जिसने जो कुछ सीखा उसने भी तो जाया किया
जिसने जो कुछ किया उसको भी तो कुछ कमानी पड़ती है
इतना ही खेल है इस जीवन का औऱ जीवन के लिए
जीवन में हर बात को बिना बताएं ही तो दबानी पड़ती है-
भूला दे क्या,लूटा दे क्या,यादें ही तो है मेरे पास
कौन पूछता है यादों को,बातें ही तो है मेरे पास
एक जिक्र कल की महफ़िल में कर आया था
आया था औऱ अब एक सितम ही तो है मेरे पास
ले दे कर जो कुछ है अब मेरे पास,क्या ही करूँ
करने को क्या अब तो एक नज़्म ही तो है मेरे पास
क्या उसे भी भूला दूँ या उसे भी किसी पर लूटा दूँ
दूँ क्या,देने को क्या और देने को जतन ही तो है मेरे पास
मैं लाख बुरा सही मग़र जो दिया दिल से ही दिया
दे रहा हूँ तो ले लो न औऱ फ़िर कसम ही तो है मेरे पास
कोई वो जो कहता है कि कुछ न दिया देने भर से
भर भर के दिया औऱ दिल भरने को ही तो है मेरे पास
एक और अलग बात है कि अब कौन किसकी सुनता है
सुनता है मग़र अनसुना करके बैठा ही तो है मेरे पास-
एक चाहना में कितनी चाहनाएँ है
जिसको देखूँ उसमे तो उलाहनाएँ है
यार मैंने तुझे कैसे न कैसे देखा
ज़माने में कितनी ही कहरानाएँ है
कोई मुक़तबिल मेरा हो जाता
औऱ हो जाने में शराणाएँ हैं
वजू को गिरवी रख दूँ तू कहे
कहने के बदले में निबहानाएँ है
रोज़ एक कहानी ख़त्म मेरी ज़ुबानी
कहानियों में न जाने कैसे विपदाएं है !-
आँखों में इतना अखरता है
दिल में कितना बिखरता है
कोई जाम है क्या,जाम मेरे
नाम से तू कितना मचलता है
कोई शराब,शबाब,और
कैसे तेरा किरदार पिघलता है
जुगलबंदी इतनी अच्छी नहीं
किसी औरों से बहलता है
मैं हूँ कि तुझे आवाज़ दे पुकारूँ
तू है कि रंग में रंग बदलता है
©Pankaj_soni
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कुछ ऐसा जिक्र है तुम्हारा रंगों में
रंग बोलते हैं,गातें है,तस्वीर बनती है
कोई चिड़िया,यह बात बताती है
किताबें खंगाली,क़िस्से पढ़े,और
कविताऍं तुम्हारी खूबसूरती बढ़ाती है
यहाँ वहाँ गया,ख़ोज में भटका
राहें तुम्हारी अदाओं के राज सुनाती है
देखकर कोई बनफूल
हृदय में कोई एक सीरत बन जाती है
हो न हो,तुम,मानवीय नहीं
स्वर्गअप्सरा की सूरत को भान कराती है !-
कभी मुझ को न लगता था
कोई इतना कैसे हो सकता है
होता है,होता जाता है,हो सकता है
पर,जैसे तुम हुए,कौन होता है
कोई आज भी तुमको याद करता है
यादों में दिल खुद को तनहा पाता है
इसलिए एक दफ़ा शायरी कहता है
अल्फाज़ों में कोई अपना हुआ जाता है
तुमको हो पसंद तो मुझ को इत्तला करना
ईमान मेरा अब यहीं सुनना चाहता है
खूब,बहुत खूब बातें कहीं कभी तुमने
दिल अब तुम्हें अपना कहना चाहता है
मैं शायर हूँ,किसी तेरे नाम महफ़िल का
हर कोई मुझसे बस तेरा नाम चाहता है !-
जैसे तुम हो,ठीक,वैसा हूँ मैं
मुझ से क्या पूछते हो,कैसा हूँ मैं
मैंने बातों पर चंद आँसू बहा दिए
सैलानियों से पूछते हो,कैसा हूँ मैं
मर गया होता अगर ख़ुद को जिंदा रखता
मेरी ख़ुद की यादों से पूछते हो,कैसा हूँ मैं
मेरी मौत पर मेरी तन्हाई नाचती है
औऱ मेरी कब्र से पूछते हो,कैसा हूँ मैं
कौन मुझसे,कब कैसे रूठा,नहीं जानता
रूठकर चल दिया तो पूछते हो कैसा हूँ मैं
इस कहानी में मेरा जिक्र हो ज़रूरी नहीं
किरदार मेरा देखकर पूछते हो कैसा हूँ मैं
कितना कुछ तो अपने बारें में बता चुका
जैसा था,बताया,और पूछते हो,कैसा हूँ मैं-
कुछ नहीं बोलने से
कुछ नहीं सोचने से
आदमी मर जाता है
मर जाता है आदमी
ख़ुद में
खुद को खोजते हुए
ख़ैर
अभी तुम और मैं
जिंदा है !-
लोग वो अच्छे लगे
जो जिंदगी में सबसे पुराने थे
आदत से लाचार
नए लोगो को ताउम्र ढूँढते रहे !-
थोड़ी सी कला
थोड़ा सा व्यपार
बीच में हमारा प्यार
एक तरफ़,तुम
एक तरफ़,मैं
बीच में इक़रार
कला,व्यपार,प्यार
तुम,मैं,इक़रार
ज़िन्दगी में इतनी सी
तक़रार !-