ए-इश़्क फिर से दस्तक दे इस दिल में, अब बिखरना नहीं बहना चाहती हूँ तेरे साथ, दूरियों का एक काफिला उतरा कुछ इस तरह, कि करीब आकर एक ठिकाना बसाना चाहती हूँ तेरे साथ....
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते जिसकी आवाज़ में सिलवट हो, निगाहों में शिकन ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते....