QUOTES ON #BACHPAN

#bachpan quotes

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6 JUN 2020 AT 16:03

Bachpan ki nadaniya bhi haseen Hua karti thi
Jb rate dadi ki kahaniyo se saza karti thi

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26 MAY 2020 AT 16:08

वक्त से पहले ही वो हमसे रूठ गयी है
बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ छूट गयी है

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29 JUL 2020 AT 11:03

बनाए होंगे तुमने रेत के महल हमने कागजों की नाव चलाई है
किए होंगे तुमने बारिशों में आराम हमने तो गलियारों में रौनक सजाई है

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14 MAR 2020 AT 23:59

बचपन जलाकर उस मासूम बच्ची का,
वो शख्स सरेआम इज़्ज़त बटोरने लगा ।

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12 OCT 2020 AT 14:32

झूठ बोलकर भी हम सच्चे थे ।
ये बात उस ज़माने की है जब हम छोटे बच्चे थे ।।

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7 DEC 2018 AT 1:29

यादों की धुंध में
ढूँढता हूँ मैं अपना बचपन।💐
वो पापा की डांट का कंपन,
फिर माँ का निष्पक्ष समर्थन।😊
वो ऊर्जा से परिपूर्ण तन-मन,
और बच्चों वाला स्वच्छ अंतर्मन।☺️
वो पढ़ाई की थोड़ी सी उलझन,
और ख़ुशियों का रोज़ का दर्शन।
प्रभु लौटा दो बस वो इक क्षण
तुझे मैं कर दूँ जीवन अर्पण।

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30 APR 2021 AT 13:39

बचपन एक हसींन एहसास,
और हरकतों का भंडार.
छोटी -छोटी बातो पर खुश हो जाना,
और दाँत दिखा कर हसना.
ना पढाई की चिंता ,
ना भविष्य की कोई फ़िक्र.
बस शाम का रहता इंतज़ार,
और बाहर खेलने जाने को बेकरार.
घर में मेहमानो के आने का इंतजार,
और जाते वक़्त उनसे पैसे लेने का ख़्वाब.
दोस्तों के घऱ जन्मदिन में जाना,
और केक पर लगे फूल को पाना.
बिन बताए घऱ से बाहर खेलने जाना,
और घऱ आकर माँ से डॉट खाना.
बचपन एक हसींन एहसास,
और खुशियों का भंडार.

Surbhi ✍

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2 AUG 2017 AT 9:01

खुले आसमान से क्षितिज तक का सफर
मानो तलाश मंजिल की और सुकून घर का

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5 DEC 2018 AT 18:35

गाँव का साहित्य

आज पहली कड़ी में हम बच्चों के ग्राम साहित्य पर बात करेंगे, और उनके साहित्य का विश्लेषण करेंगे।

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आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!!
क्या ज़माना था क्या बहाना था!!
हंसना खेलना यू लड़ना झगड़ना था!!
ना लड़का ना लड़की बस दोस्त ही कहलाना था!!
हर एक लम्हा खुल कर जीने का ठिकाना था!!
वो पापा की डांटे, यू मम्मी के चाटे!!
वो जलजीरा का स्वाद वो आम की मिठास!!
आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!!
क्या ज़माना था क्या बहाना था !!
वो किर्केट का टशन और कबड्डी का जश्न!!
वो रात में लुका छिपी यू दिन में दौड़ा दौड़ी!!
वो सारी मस्तियां यू सारी बस्तियां!!
ना जाने कैसे कब बस एक ख़ाली मैदान हो गई!!
वो हमेशा याद रहने वाला एक हसीन पल था !!
हर दिन कुछ नया सीखना और सिखाना था!!
यू हर किसी को चिढ़ा कर गलत नाम से बुलाना था!!
खुद मारना ओर बड़ो से भी मार खिलाना था!!
आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!!
क्या ज़माना था क्या बहाना था!!
यू पेट दर्द है स्कूल ना जाना और घर में बिल्कुल ना रहना!!
यू सबके गेट खटखटा कर भाग जाना!!
यू त्यौहार की रौनक और मेला की भीड़!!
वो लालटेन में पढ़ना और दिन में खेलना!!
टीवी में भीम की लड्डू और चुटकी की दोस्ती!!
और भी पुरानी सारी कहानियां!!
आज भी वो बचपन के दिन याद आ गए!!
क्या ज़माना था क्या बहाना था!!

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