देह आकर्षक काळं मन
पुढे मिष्ट मागं फन
हे कसली सुंदरता?
घान कपडे़ फाटले जोड़े
पण निर्मळ हृदय निर्मळ डोळे
हेचं असली सुंदरता।-
निरागस दिसणे हे तुझे आठवती मला माझे बालपण...
काही औरच मज्जा असते बालपणाची आठवे ते खट्याळपण..
तुझे बघणे इतके छान कि कविता इतकेच सहज आठवले मला तुझे मोठेपण..
इवलेसे ते हात कसे दिसतात रुबाबदार
म्हणुनी मजेचे आहे तुझे हे बालपण..-
Baalpan ch ved ekdm chan
Kaand hote mothe amhi hoto lahan
Amhi chimukle amchi kirti mahan
Amch baalpn ekdm chaan!!-
भोलेनाथ की दुलारी और नंदी की सवारी हूं मैं..
भोले की भक्तों में सबसे प्यारी हूं मैं..-
बालपणाची ओढ आणि आताची तडजोड याची एका "प्रौढ" होत चाललेल्या नजरेतून एक अनामिक सफर !
“ बालपण ”-
मनुष्यों ने अपने बचपन से अपने बालपन से यही देखा है कि मैं और मेरा ये भावना , इसी के साथ सभी पले बढ़े हैं , इसी के साथ सब की पुष्टि हुई है और इसे त्यागने के लिया अत्यंत ज्ञान और साहस की आवश्यकता है , इस ज्ञान को आचरण में लाने के लिए धैर्य की आवश्यकता है , इस ब्रह्माण्ड में स्वयं को देखने के लिए धैर्य की आवश्यकता है ।
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सूरज और हवा में तन गई
कौन मुसाफिर का कोट उतारेगा।
हवा तेज चली मुसाफिर ने कोट पकड़ा।अपनी बारी पर सूरज तेज चमका। बेहाल मुसाफिर ने कोट उतार दिया।-
असंच वाटलं आज मला, मागे वळून पहावं थोडं...
तारुण्य तर आहे दारी, लहानपणात जगावं थोडं...
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