एक अधूरी मोहब्बत
इक अधूरी मोहब्बत रही दिल में तेरे बाद,
क़िस्सा ना पूरा हुआ, कहानी तेरे बाद।
थामना चाहता था मैं तेरा हाथ उम्र भर,
कंधा मेरा, बाहों में तेरी पनाह उम्र भर।
मोहब्बत दोनों तरफ थी, गवाही है खुदा की,
निभाना बस मेरा था, बस रही खता मेरी।
आँखों में बसी थी तू, लबों पर छुपा लिया,
इज़हार ना कर सका, दिल में बसा लिया।
तेरी मुस्कान, तेरा ग़ुस्सा — सब कुछ था अपना,
ख़्वाबों में बसा लिया, पर हक़ीक़त से बचना।
क़िस्मत ने मिलाया था, पर राहें जुदा कर दीं,
वक़्त ने आज भी तेरी यादों से वफ़ा कर दीं।
अब भी दुआओं में तेरा सुकूँ माँगता हूँ मैं,
ख़ुद को लुटा के भी तुझे आबाद रखता हूँ मैं।
कह दूँ अगर कोई पूछे — क्यों इतना चाहा उसे?
बस यही कहूँगा — मोहब्बत थी, बस वही रही सबक।
इक अधूरी मोहब्बत रही दिल में तेरे बाद,
क़िस्सा ना पूरा हुआ, कहानी तेरे बाद।-
जीवनात खूप काही चांगल्या आणि व... read more
❤️ मोहब्बत अगर करनी है...
दर्द से जुदा नहीं, दर्द से हमदम बनना है तो मोहब्बत कर,
अगर दर्द सहने की ताक़त रखते हो तो मोहब्बत कर।
बेइंतहा मोहब्बत की जिद है अगर,
और बिना मतलब के भी किसी को टूटकर चाह सकते हो तो मोहब्बत कर।
निभा सको इश्क़ उसे पाए बिना भी,
तो बेझिझक मोहब्बत कर।
मुकम्मल ना भी हो तो, उसकी ख़ुशी के लिए दुआ कर सको _
तो मोहब्बत कर।
जिंदा रहकर भी लाश बनकर जी सको,
हर पल दर्द के साथ मुस्कुरा सको,
तो मोहब्बत कर।
रातों को नींद से दुश्मनी कर लेनी है अगर,
और एकतरफा इश्क़ को भी इबादत बना सकते हो,
तो बेफिक्र मोहब्बत कर।
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मोहब्बत कर, अगर दर्द से रिश्ता निभाना है,
मोहब्बत कर, अगर अश्कों में मुस्कुराना है।
मोहब्बत कर, बेइंतहा दिल से कर,
बिना किसी मतलब के, टूटकर कर।
सहेजा है जो दर्द, वो और बढ़ेगा,
तन्हाई का आलम, रात भर चुभेगा।
अगर सह सके तू, तो फिर डर कैसा?
मोहब्बत कर, फिर खुदा भी तेरा।
मुकम्मल न हो कहानी, फिर भी दुआ देना,
उसकी खुशियों में ही तू अपनी खुशी लेना।
अगर उसे पाए बिना भी इश्क़ निभा सके,
तो मोहब्बत कर, बस मोहब्बत ही कर।
जिंदा रह कर भी लाश बनकर चलना होगा,
हर दर्द को दिल में छुपा कर हंसना होगा।
नींदों से जुदा, ख्वाबों में उलझा रहना,
अगर ये सब मंज़ूर है तो इश्क़ कर बैठना।
तो मोहब्बत कर, दर्द से रिश्ता जोड़,
मोहब्बत कर, आँसुओं में भी खुशियाँ ढूंढ।
बेइंतहा कर, बेमतलब कर,
टूटकर कर, बस मोहब्बत कर।-
Tu woh lamha hai,
jo har khamoshi ko bhi samajh le,
mujhe mujh se pehle jaan le...
Ab samajh nahi aata —
khud ko sambhalun
ya tere ishq mein kho jaun!-
उसे लगता था,
के वो खामोश होंगी तो हम उसे पढ़ ना लेंगे,
उसे क्या पता था,
उसकी नजर की इजहार ही पूरी खुली किताब थी !-
जिन सवालों को लेकर हम दर बदर ढूंढते रहे
उन सवालों के जवाब भी उस किताब में मिले
जो हम कभी अपना ही ना सके ! 🩵-
You don't want to pretend,
What you feel,
You pretend how others want to see you.
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सुकून की तलाश अब थम चुका है,
खुद को परखते परखते अब,
खुद पर ही ना उम्मीद छोड़ दी है,
शायद वो पहले जैसे बात ना रही है,
अब खुदको को तलाशना है,
खुद को तलाशते तलाशते तुझ में ही ना खो जाना है,
क्यों कि मुझ में मुझ से ज़्यादा तेरा ही तो बसेरा है..!
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कधी कधी आपल्याला हवं तसा राहता येत नाही,
हवं तसा वागता येत नाही,
मन व्यक्त करून बोलता येत नाही,
आणि त्यांच्या आठवणी शिवाय राहता ही येत नाही,
स्वतःला सारखा का वारंवार समजावं लागतं,
ती व्यक्ती फक्त तुझा आयुष्यातील काही सुंदर आठवणी होते,
ते क्षण, ते शब्द, तो हसरा चेहरा, ते व्यक्ती सगळे आत्ता तुझे नसून,
ते आत्ता दुसऱ्याचे झाले आहेत,
स्वतःला फक्त एक शब्द सांगू शकतो ते म्हणजे,
पुरेआत्ता स्वतःला सावर...
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आपके जेहन से हमारी यादें निकालने की,
नही हुआ तो समझ में लेना,
अब भी हम आपके जेहन में रहते है।-