Renu Verma   (("सहज"))
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Joined 25 January 2018


Joined 25 January 2018
30 APR AT 8:40

जो दिया था उसे भूल जा
मुहब्बत का भी कुछ उसूल था
बेवफाई उसकी आदत ही सही
दिल से तो तू उसे कुबूल था

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26 APR AT 15:01

दो शब्द तारीफ़ के तुम्हें बे-परवाह न कर दे,
भटका न दे तुम्हें मंजिलों से गुमराह न कर दे

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25 APR AT 15:02

मेरी जिंदगी का बस इतना सा फसाना है
ज़ख्म सहने हैं सभी फिर भी मुस्कुराना है

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24 APR AT 22:52

चल पड़ा हूं पगडंडियां पर
बहते हुए झरनों की तरह वेग से
मंजिलों की है तलाश मुझे



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19 APR AT 13:10

क्या लिखूं आज कलम से मेरी
अल्फ़ाज़ मेरे और किस्से तेरे हों
बस यही ख्वाहिश है कलम की मेरी।

कभी खूबसूरती तो कभी नज़ाकत लिखूं
कभी सादगी तो कभी शरारत
कभी तेरी आंखों को लिखूं कलम से मेरी।

कभी लिखूं ख्वाबों में हुई तेरी बातें
कभी लिखूं तेरे इंतजार की लंबी रातें
कभी तेरे दिन रात लिखूं कलम से मेरी।
क्या लिखूं आज कलम से मेरी........

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18 APR AT 16:06

क्या बताएं तुमको ये इश्क़ का जुनून
ना कोई दलील है इसमें ना कोई कानून

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16 APR AT 19:13

छत पर आज मेरी आया है चाँद
देखो कितना शर्माया है चाँद
पूर्णिमा सी चमकती खुद की चांदनी में
आज फिर से नहाया है चाँद ।



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16 APR AT 18:58

जिंदगी की कशमकश में दिल ए नाशाद हो गया है
कोई आबाद हों गया है यहां कोई बर्बाद हो गया है



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16 APR AT 13:23

गुलाबों सी खुशबू है तेरे प्यार में
कब से आंख बिछाए बैठे थे तेरे इंतजार में।

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16 APR AT 12:18

हम सदा तेरे रहेंगे खा रहे हैं ये कसम
सीने में मेरे जो दिल है उसमें तेरा ही नाम है
संग तेरे पतझड़ में भी खिल जाता है ये चमन।

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