देश के खातिर अपनों से दूर रहता है
उसे बड़ा कोई रखवाला नही वतन का..!!-
सपने छोटे या बड़े नहीं होते,
सपने तो सपने होते है,
बस फर्क इतना है जैसे,
सारे इंसान एक से नहीं होते,
वैसे ही सबके सपने,
एक से नहीं होते।-
प्रेम दिवस पर निष्ठुर-नियति ने ये कैसा खेल रचाया था,
एक प्रेमी के सुहाग को एक सफेद कफन से सजाया था।
एक मां की कोख को सूनी करके,एक पुत्र को पिता से अलग करके,
एक बहिन को भाई के प्यार से वंचित कर,उससे कोसों दूर किया,
जीवन के अब हर एक पल में, उन्हें अकेले रहने को मजबूर किया।
हाय रे विधाता! ये तूने कैसा खेल रचाया था,
जब एक मां ने अपने बेटे को तिरंगे में लिपटा पाया था.......(read below......)
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🇮🇳A letter to my soldier🇮🇳
आखिर कब तक हमें यूं रुलाओगे,
आऊंगा मैं जल्द ही ये कहकर आखिर
कब तक हमे यूं दिलासा दिलाओगे,
हर बार फोन पर बस यही कहते हो,
कि जल्द ही आऊंगा मै छुट्टी पर,
और फिर फोन रखकर चले जाते हो
कि जा रहा मैं अब ड्यूटी पर,
हर रोज ये आंखे तेरी राह निहारती हैं,
हर रोज तेरे आने की राह में
आइने में हर पल खुदको संवारती हैं
अब तो हमारी सखियां भी हमे
इक तेरे ही नाम से पुकारती हैं,
तेरे आने की राह देखते देखते,
पूरा इक साल पार हो गया,
आखिर कब आएगा तू और कहूंगी
मै कि देखो मेरा फौजी यार आ गया
-ज्योति की कलम से✍
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उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं,
जब मेहँदी वाले हाथों ने मंगल-सूत्र उतारे हैं,
और मरने के बाद भी जिनके नामो मे जान हैं,
वो फोजी भाई ही हमारे भारत की शान है।
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Tere iss jazbe ko karta huñ maiñ salam
Khuda kare teri ye aarzu ho tamaam-
मौके की तलाश खातिर हर मौसम सरहदी हो,जरूरी तो नहीं
सही को सही बनाने का साहस है तो!!!!
देश का हर फौजी वर्दी में हो,जरूरी तो नहीं.......-
मोहब्बत तो दोनो की ही , बेशुमार है साहब ।
उन्हें अपनी जमीं से है , और हमें जमीं के रखवाले से।-
हम भी तेरे लफ़्ज़ों को तवज्जो दें तेरी यादों में जी लेंगे
तेरी ख़ुशी के लिए खुद को गुनहगार कह लेंगे
हमारी खुशियों से ज्यादा जरूरत दरकार है तुम्हारी
बस इसी के सहारे तलब को खत्म कर खुश रह लेंगे-