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बेशक..रखो तुम किसी से भी दिल का रिश्ता
मगर उम्मीदों का बोझ कभी मत रखना!-
देखकर जमाना इश्क़ फिजूल लगा,
बातों का ये सिलसिला बस एक मजाक सा लगा..!
जज्बातों को लेकर ये अहसासों का जहर लगा,
इश्क़ में सब गुमराह ये देखकर ये कहर पुराना सा लगा ..!
चाहे बात कोई भी हो इश्क़ सब की जुबा पर खेल लगा,
जाने मोहब्बत की गलियों में ये इश्क़ क्यूं बदनाम सा लगा..!
हर कोई जिक्र करता रहा महबूब की वो बेवफा सनम लगा,
मुझे भी ये इश्क़ का बाजार यहाँ पर अब व्यापार सा लगा..!
खुशियों का खजाना और मुस्कराहटों का सौदा लगा,
जाने इन खुशियों में आंसुओ का मोलभाव अदाकार सा लगा..!-
.....बेरोजगार ख्वाहिशें उतनी खतरनाक होती है...
जितनी कि किसी से प्रेम करके उसे बिछड़ने का दुःख होता है..!!-
आज की चमक तुम्हारी
आँखों मे अलग ही रौनक होगी
बेहद प्यारा दिन आज का
तुम्हारे लिए हमेशा यादगार रहेगा
हर कोई तुम्हे दुआओं के
पैगाम पर खुशमिजाज लिखेगा
आज के दिन चेहरे पर
मुस्कराहटों की खुशी जाहिर करेगा
ढेर सारा प्रेम,व तरक्की पर
सफलता के आसमाँ को देखेगा
चाँद तारे दूर रह जाते है
हर कोई तुम्हारे अपने इस पल को सोचेगा
घर का आँगन खुशियों से चहकता हुआ
तुम्हारे हँसी को सदा के लिए महफूज रखेगा
जो सींचा है..... सब के दिलों मे प्रेम का फूल
वो हमेशा इसी तरह खुश्बू बनकर महकता रहेगा!!-
वास्तिवक कविताएँ
जिने हमेशा से ढूढ़ने की कोशिश की गई हो
चाहें खुद मे या फिर अपने बाहरी आवेश में
मगर सच्ची और वास्तविक कविताएँ लिखी तब गयी
जब उन्हें खुद के अंदर महसूस किया गया हो...
जिनके कई रूप हमे खुद के अंदर देखने को मिले हो
जैसे जैसे लिखते गए शब्द वैसे ज़िंदगी की छाप बनते गये हो
मानो वास्विकता में कुछ नही मगर ज़िंदगी के जीवन में बोहत अनमोल होते गये
वो शब्द जीने कभी देह की परत नही उन्हें छोडा किसी जीवन पर
जैसे कुछ लिखा गया तो किसी जीवन का बदलाव बन गया हो..
वास्तव मे कविताएँ तब लिखी गयी है
जब उन्हें पूरी तरह से जीवन मे जी लिया गया हो
कुछ भी अधूरा न लिखकर प्रश्नचिन्ह नही हुआ हो
कई सवालों के जवाब अक्सर अनजाने मे लिखे गए हो
जिने लिखते वक्त मन को शांत किया गया हो
सबसे ज्यादा सुकून तब महसूस किया होगा
जब इन्हें अपनी अंतरात्मा से इन्हें कोरे पन्नों पर बिखरा गया हो
एकांत में होकर हम खुद के साथ मुस्कराते हुए कई ख्वाब लिखे गये हो-
प्रेम उन्मुक्त होने लगता है..!!
जब हर ख़्याल से डर निकलने लगता है
प्रेम ही जीवन बन जाता है...
जब वो किसी की प्रेमिका बने लगती है
सब कुछ भूल जाती है...
इस पड़ाव पर वो सिर्फ तलाश करती है
प्रेमिक अपने लिए ख़ुशी उसके लिए कोई दुआएं माँगे
जो सिर्फ उसके प्रेम को पाने की चाह रखता हो...
प्रेम में हमेंशा के लिए शाश्वत होने लगती है
प्रेम उसके जीवन का सुनहरा ख़्वाब बन जाता है
जीवन के हर कष्ट को भूलने लगती है
आईने में हर पल खुद को ही सँवारने लगती है
हर लड़की खुद को खूबसूरत सी दिखने लगती है
अपनी शिकायतों को जाहिर करने लगती है
अपने प्रेमी से दिल की हर बात कहेने लगती..
दिनभर की कहानी को वो किस्सों में सुनाने लगती है
प्रेम मैं वो लड़की फिर से एक-बार बचपना जीने लगती है...
जब वो इन ख्यालों में अक्सर डूबती है
तो उसके जीवन की हर बात दिल से जुबाँ पर आने लगती है
आसमाँ में तितलियों की तरह उड़ती है
अपने कोमल पँखो से खुद को बचाने लगती है
इस पड़ाव पर सब रीति रिवाजों की भूल जाती है
अपने पँखो को उड़ान व प्रेम में ही छुईमुईर सी होने लगती है
कितना खूबसूरत होता है....
वो पल जब लड़कियाँ प्रेम के लिए विद्रोह करना सीख जाती है
Kimi..🍁-
कुछ "रिश्ते" होते है
जिन्हें हमेंशा "महसूस" किया जाता है
नाजुक "पंखुड़ियों" की तरह
इनके ...जज्बात को "सहेजकर"रखा जाता है.!-
चाँद की उपमा देकर
तुम्हें निहारना चाहती हूँ
कैसे तुम्हारे प्यार भरे
तोहफे की कद्र करना चाहती हूँ-