मेरी इज्जत सरे आम लूटती रही!
वो तमाशा बन के देखते रहे!
मेरे आँखो से आँसु बहते रहे!
वो मुझे सब्र की तलकीन करते रहे!
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इजहार - ए-मोहब्बत
बिना बोले ही उन तक पहुंच जाएं जज्बात मेरे
इसलिए लिखा करती हूँ
आंखें कह दें ना उनसे दिल की बातें
उन्हें छुप - छुप के देखा करती हूँ
समझ लेंगे वो मेरे एहसासों को एक दिन
ये बात हवाओं से कहा करती हूँ
दिख जाएगी उन्हें खुद तेरी हालत
ये कहके दिल को समझा लिया करती हूं
दोस्तों से सुना है, उन्होंने जिक्र किया है मेरा
उन्हें क्या पता, मैं उनकी फिक्र किया करती हूँ
बेशर्त, बेइंतिहा, बेपनाह चाहत है उनसे
मैं डायरी पे इजहार - ए-मोहब्बत किया करती हूँ......
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ಮೌನಿಬಾಬಾ ವಾಣಿ #07
ಚೆಲುವಿನ 'ಬಲೆ'ಯಲಿ ಸಿಲುಕಿದವನ..
ಮೋಹದ 'ನೆಲೆ'ಯನು ಅಲುಗಾಡಿಸದಿರೆ..
ಬದುಕು 'ಬೆಲೆ'ಯ ಕಳೆದುಕೊಳ್ಳುವುದೆಂದ..
ಮೌನಿಬಾಬಾ.. ತಾ..
ಜ್ಞಾನದ ಸೆಲೆಯಲಿ.. ತನ್ನ ನೆಲೆಯ ಕಂಡು ಕೊಂಡಿಹನು...!
😊😊😊😀😊😊😊-
Jo neend ke baare me nahi sochta
Neend uske baare me sochti hai
Ek din uss insan ko sukoon
De hi deti hai😇-
That gentle smolder in his eyes,
A quiet invite.
Swimming in his senseless delights,
Those shimmering stars,
Cloak me in the dark.
He, the impetuous moon
His nearness, like moonlight,
kissing darkness' every part.-
खुशियाँ तो गुल्लक में हुआ करती थी क्योंकि एक ना एक दिन उसका भर जाना तय था,
इन बैंक खातों का क्या ?-
हर चूल्हे में रोटियां ही नहीं सेंकी जाती।
कुछ चूल्हे
लड़कियों के सपने भी जला डालते हैं।
कुछ चूल्हों से निकलती है बेबसी की लपटें
गरीबी की आंच सेंक कर
कुछ परिवार भूखे सो जाते हैं।
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तृक हो गई हयात
वतन-ए- इन्ताइ खलूस में
तर कर रहे हैं अश्रु
धरा को यु जुलूस में
उदित हो रहा है नव प्रकाश यू आकाश में
बढ़ रहा है हर कदम हिंद के विकास में
स्वच्छता की आरज़ू है सांसों की आवाज में
गदगद हो गए हैं हृदय जीत के विश्वास में
क्यों फंसा है आदमी तु मज़हबे -ए- शिकार में
तोड़ दे ये बेड़ियां हिंद की पुकार में
हर तरफ एक जिंदगी है जीत की तलाश में
पुछ अपने आप से कि बैठा क्यों हताश में-