QUOTES ON #AKHBAR

#akhbar quotes

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24 MAY 2019 AT 14:49

दिल मेरा जैसे...
अखबार हो गया...
पढ़कर फेंक देना...
कारोबार हो गया...

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4 JUN 2020 AT 12:35

रोज़ पड़ कर फेंक दिया जाए ऐसा अख़बार नहीं हूं।
क्या भूल जाऊं तुमसे किए वादे,
अरे आम इंसान हूं कोई सरकार नहीं हूं।

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3 MAY 2019 AT 14:30

रोज पढा़ भी जाता हूँ और बिकने का इल्जाम भी है
हाँ,शायद आज कल के अखबार की तरह हूँ मै भी।

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8 MAY 2021 AT 23:42

झूठ का दौर है साहब,
सच यहाँ बिकता नहीं अखबारों में।
जिंदगी जाने कहाँ खो गई,
मिल रहा मौत का सामान बाजारों में।

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2 JUN 2018 AT 9:42

Aaj Subha Subha mere ghar
Uski shadi ka prastav aya

Par khushi nhi hui 😞
Akhbar ke panne par jo tha

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25 AUG 2024 AT 14:28

ज़िन्दगी के रास्ते मुश्किल बड़े कुछ कुछ पेचदार है
हर कदम पर ठोकर देने छोटे बड़े पत्थर हज़ार है

किसने कह दिया कि साथ छोड़ देते है छोड़ने वाले
मेरी तकलीफ़ और दर्द तो मेरे प्रति बड़ा वफ़ादार है

बिखरी उम्मीदों का बिखरना जारी है आफ़ताब
फिर भी ख़ामोशी ओढ़ कर मुस्कुराने को तैयार है

अब लज़्ज़त नहीं आती ज़िन्दगी के इस प्लेट में
मौत करीब आकर गले लगने को हमसे बेक़रार है

वैसे दौर तो कई आए हँसने और गुनगुनाने के
पर बात वही है दिल शायद टूटे कांच पर सवार है

पूनम का चाँद भी कुछ कुछ लाल नज़र आता है
जैसे खून से नहा कर आता आजकल अख़बार है

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6 JUN 2017 AT 13:38

*छोटे शहर के अखबार*
*जैसा हूँ मैं जनाब...*

*दिल से लिखता हूँ.*
*इसलिए कम बिकता हूँ...!!*

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21 NOV 2018 AT 14:46


ख्वाहिश नही है अखबारों की सुर्खियां होने की...

दो चार साथी दिल से करीब रहे, बस दुनिया बहुत है.......

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4 APR 2019 AT 23:21

आईना सिर्फ एक तरफ का ही सच दिखता है इसलिये आईना नही transparent सीसा बनाइये ।

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8 JAN 2021 AT 22:30

बहुत लगा चुका ये अखबार, इस शहर में आग,
अब इसी शहर के लोग, अखबार में आग लगाने वाले है

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