QUOTES ON #AADHIAABADI

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नारी

पुरुष प्रधान समाज ने नारी जाति को,
यह कैसा सम्मान दिया?
निष्प्राण मूरत की पूजा की,
और गर्भ में जीवित को मार दिया!?
दासी, अबला, जननी, देवी ;
न जाने कितने ही उपनाम दिए?
ममता की मूरत कह कहकर,
उसके सारे सपने बांध दिए।।
महानता की कहानियाँ गढ़कर,
जिंदगी उसकी सीमित कर दी।
नारी को तो सहने की आदत,
दुःख से एक उफ़ तक न की!!
Read Full piece in Caption....

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15 AUG 2020 AT 0:45

आधी आबादी को आज़ादी
कितनी मिली कितनी है बाकी...❓

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12 MAR 2021 AT 0:48

आँगन में नंगे पाँव दौड़ी
अंतरिक्ष की जमीं तक उड़ी

रसोई में रोटियाँ भी बेली
मैदान में कुश्तियाँ भी खेली

हाथों में मेहंदीयाँ भी लगाई
दुश्मनों पर गोलियाँ भी चलाई

बात जब-जब उसकी आन पर आई
पूरी दुनियाँ को उसने है अपनी शान दिखाई

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19 JUN 2017 AT 9:54

शीर्षक - मैं आज़ाद हूँ...!!

जहाँ मेरे कपड़ो से मेरा चरित्र नापा जाए,
ऐसा समाज तुम रखो,
चेहरे की खूबसूरती से मेरा मोल आंका जाए,
ऐसा रिश्ता तुम रखो,

चमड़ी के रंग से जीने का हक़ दिया जाए जहाँ,
ऐसा पत्थरों का घर तुम रखो,
झूठी इज्ज़त के नाम पर जहाँ हमकों बेचा जाए,
ऐसी इज्ज़त तुम रखो,

हवस के भेड़ियों को जहाँ भगवान समझा जाए,
ऐसा मंदिर , मस्जिद तुम रखो,
मैं आज़ाद हूँ अपने चुनाव के लिए,
समझ आये ये बात अच्छा,
ना समझ आये तो अपनी हुक़ूमत ,
अपने तक तुम रखो,

जिस्म की जरूरत तुम्हारे लिए सही, मेरे लिए ग़लत,
ऐसे तराज़ू फैसलों के तुम रखो,
जहाँ मेरे कपड़ो से मेरा चरित्र नापा जाए,
ऐसा समाज तुम रखो,

हाँ नही चाहिए तुम्हारी हमदर्दी अब मुझे,
बराबरी के ढकोसले सारे अब तुम रखो...!!!

PC : instagram (shesaysindia)

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8 MAR 2018 AT 12:23

" आधी आबादी...."

काश के तुम्हारे लबों पर मेरा नाम यूँ होता,
जहां की इस आधी हक़ीक़त पर,
उस आधी हक़ीक़त को फक्र सरेआम होता....!!

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11 AUG 2021 AT 12:12

वो(लड़की) मायके में छूट्टी अपनी अधूरी ख्वाहिशों को अपने घर (ससुराल) में जाकर पूरा करने के सपने संजोती रही मगर वहाँ जाकर भी घर की खुशी और जरूरतों के लिए अपनी ख्वाहिशों को कुर्बान कर गई।

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30 JUN 2018 AT 11:51

पैदा होते ही पता चलना
की "लड़की हैं",
हवस भरी आंखें फिर
"सुनसान देखती है"..।

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14 OCT 2021 AT 14:09

पितृसत्तात्मक समाज का पिता अपनी ही बेटी के
कली से फूल हो जाने पे उससे घृणा करता है,
कहीं बहक न जाएं उसके कदम इसलिए उसे डर‌
और प्राण-प्रतिष्ठिता की बेड़ियों में जकड़ के रखता है,
कहीं प्रेम के बीज अंकुरित न करले वो किसी भंवरे के
संग उससे पहले वो उसे बेच कर अपने बाग से बिदा करता है।

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5 APR 2021 AT 13:18

'भ्रम'

अंखियाँ तीरे तेरी,
होंठ लहू लिए;

आहों में चुभे है कुछ
पांव जैसे कांटे लिए......

सदियां गुजार पहुंची
कृता से कलयुग में,

सीता बन बैठी कब से
मृग तृष्णा का भ्रम लिए......

आंचल मैली, उलझी लटें
इन सबको वह श्रृंगार समझे ,

द्रौपदी चींखी,किसने सुना
अंधा था, बहरे का भ्रम लिए।

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8 MAR 2018 AT 20:41

कई उम्मीदे यू भी मर जाती है आँखों के आगे
नही रहता कोई हौसला जब उम्मीद पालने का

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